19 OCT 2020 AT 16:32

आओ मरहम बन जाते है.
कुछ घाव अपनों ने दिए है ,
कुछ परायोंने,
जख्मों से जख्मों को सिराहते हैं,
आओ हम एक दूजें के मरहम बन जाते हैं,

टूटा दिल तेरा भी हैं,
ओर ज्खमी हूआ मेरा मन भी हैं,
आओ एक दूजे़ पर इश़्क की बरसात करते हैं,
आओ हम मरहम बन जाते हैं.

अन्जाने रास्तों पर ख़डे तुम भी हो,
ओर अपनों ने छोडा़ दामन मेरा भी हैं,
अन्जानें रास्तों के हमसफर बन जाते हैं,
आओ हम मरहम बन जाते हैं.

हेमांगी

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