आंँसुओं की भाषा.
भीन्न भीन्न लोग, भीन्न भीन्न भाषा,
सबसे अलग है दो नैनों मे बसे आंँसुओं की भाषा,
समझ सकें तो है दरिया भावनाओं का,
नासमझों के लिये पानी हे आंखों का.
आंखों से निकलकर लबों तक का सफर तय करते है आहिस्ता आहिस्ता,
दिल को चीर कर, अरमानों को रोंद कर आंखों में आ बसते है आहिस्ता आहिस्ता.
बहुत कुछ पढा होगा तुमनें किताबों में,
पर आंँसुओं की भाषा पढने वाला मिलता है कहीं हजारों मे.
हेमांगी
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