आँख लगते ही
हकीकत कि दूनिया से दूर,
खवाबों के नगर में खो जाते है,
ये दूख,दर्द, तकलीफ पलभर में गूम हो जाते है,
वक्त का पता नहीं चलता औंर हम सारी दूनिया देख आते है,
जो आंखों से दूर है हमसे,
वो अक्सर खवाबों मे मिला करते है,
ऐसे ही तो छोटी छोटी खूशीयां बटोरा करते है,
अधूरी खवाहिशे, अधूरे सपने खवाबों मे ही तो मुक्म्मल होते है,
आँख लगते ही खुबसूरत नई दुनिया में खो जाते है.
हेमांगी-
17 MAY 2020 AT 20:30