आज कल तुम मुझे।
वो बातो का सिलसिला रूक सा गया है,
सांसे चल तो रही है पर धड़कन कही खो सी गई है ,
वो पुरानी यादो के नगर मे कही खो सी जाती हूं,
तेरा मुझसे बाते करना,मुस्कुराना,
मेरी उलझती लटो को तेरी नाजुक सी उंगलीयो से सुलझाना,
सब वक्त के हाथो कहीं खो सा गया है,
तुम आते हो, बैठते हो,बाते भी करते हो,
पर वो बातो मे पुराना एहसास कहीं खो सा गया है,
आज कल तुम मुझे बदले बदले से लगते हो ,
तुम वहीं ही हो या फिर मुझे तुमने किसी ओर से मिलवाया था,
मेरे अल्फाजो मे खूद को ढूंढते थे तुम वहीं ही हो!
या वो हो जिसके एहसास अब सिकुड़ने लगे है!
हेमांगी-
14 SEP 2020 AT 18:49