ज़िंदगी जब तू मिली थी मुझे
दर्द भूल जाती थी मैं...
तू खिली खिली सी रहती थी
तुझे देख के मुस्कुराती थी मैं...
जो गाना तू सुनाती थी
वो गाना गुनगुनाती थी मैं...
जिंदगी जब तू मिली थी मुझे
थोड़ा थोड़ा सा जी जाती थी मैं ...
तू बहुत थी.....
पर हमेशा कम सी पड़ जाती थी।
फ़िर मिल किसी मोड़ पर
तेरे दामन से सब चुरा लुंगी...
जो तू ले गई थी सब अपना बना लूंगी
एक बार फिर.....
तुझे जीने की चाह पूरी कर लूंगी
जिंदगी जब तू मिलेगी मुझसे...इस बार तुझे समेट कर रख ही लू़ंगी मैं ।।-
कैसी है ये जिंदगी यहाँ ....
हर कोई ढूंढ रहा है सुकून यहाँ ...
सब अपना सोचते हैं यहाँ ....
भाग रहे हैं अपने लिए यहाँ ...
दूसरे का ना सोचते यहाँ...
हर किसी को अपने हिस्से का चाहिए....
कोई किसी के अंतर्मन की ना सोचता यहाँ ...
मतलब के हैं सब साथी यहाँ ....
कोई रात कोई दिन ढूंढता यहाँ ....
कोई शाम को पा कर ही है खुश यहाँ ...
कैसी है ये जिंदगी यहाँ ....-
रुक अभी सबर कर....
निकल जाने दे ये लम्हा भी....
आएगा वो लौट कर थोड़ा दिल को थाम रख ....
सुकून है वो तेरी जिंदगी का....
एक जन्म का भी हो, तो भी इंतजार कर !!-
आज मिले थे हम सालों पहले
साथ मिला नई सी हो गयी मैं
तेरे साथ ज़िंदगी तो जी गयी मैं....
छुप के मिलना, 10 मिनट कह कर एक घंटा रुकना
तेरे साथ ज़िंदगी तो जी गयी मैं....
मेरा रूठना, तेरा मनाना
मेरे घर के नीचे से मुझे ले जाना
तेरे साथ ज़िंदगी तो जी गयी मैं ....
मेरे हाथ का बनाया, जब तू खाया करता था
पता था मुझे अच्छा है, पर तेरे हाथो से खा कर स्वाद और बढ़ जाया करता था
तेरे साथ ज़िंदगी तो जी गयी मैं ....
आज नहीं है तू मेरे साथ
तेरे साथ बिताए पलों को याद करके ज़िंदगी जी रही हूँ मैं ।।-
Is this destiny ???
किसी को दोबारा मिल जाता है
किसी से दोबारा छिन जाता है.....-
टूट गई साँसों की डोर इंतजार में
आँखों की ज़िद थी राह तकना नहीं छोड़ेंगीं....-
बंद पिंजरे की घुटन सी है ....
आज़ाद होके भी क़ैद सी है ....
कभी तो उड़ने दे ....
सुना था जिंदगी खुले आसमा सी है ।-
दायरा बना लिया तेरे इर्द गिर्द....
की हर महफ़िल वीरान सी हो गयी है ।
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मुहब्बत पहली या दुसरी नहीं होती......
बस जब होती है, तो फिर कभी किसी और से दुबारा नहीं होती।।-
हैरान हूँ मैं आज ,
देख के उसकी बेरुखी ...
क्या बीते सालों में उसने प्यार किया ही नहीं था ???-