Hem Raj Yadav   (हेम राज यादव©)
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Joined 8 October 2018


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16 SEP AT 9:56

जनता मालिक है और ये नौकर
मगर इनके बनाए सारे नियम कानून
सार्वजनिक सम्पत्ति के हों या और कोई भी
सब जनता को ही सज़ा देते हैं

बहुत बड़ा भी अपराध हुआ तो
सरकारी अफसर को ये ज्यादा से ज्यादा
सिर्फ सस्पेंड कर सकते हैं
किसी नेता, मंत्री, मुख्यमंत्री को ये छू नहीं सकते
प्रधानमंत्री राष्ट्रपति के बारे में तो ये सोच भी नहीं सकते

तभी इनके लिए जनता को सोचना चाहिए

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12 SEP AT 23:55

कहने का लोकतंत्र.....

सरकार, सरकारी कर्मचारी और शासक दल अक्सर कहते हैं, “हम तो जनता के सेवक हैं और जनता मालिक है।”

.....Read full in caption

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12 SEP AT 2:29

हर हर मोदी
घर घर मोदी

के बाद अब

धर धर मोदी
थर थर मोदी

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10 SEP AT 1:48

कुसूर इतना भी नहीं उसका, के भुला दिया जाय
बेवफा है वो तो क्या, मोहब्बत में दगा दिया जाय

जाता है वह तो जाने दो, मर्जी उसी की है आखिर
छोड़ो ये दर्दोगम, उसी के नाम फैसला किया जाय

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2 SEP AT 0:08

कौन द्वंदी प्रतिद्वंद्वी को बख्शा है
बस चला तो सबने ही जान ले ली
फिर वो सिकंदर हो या राजा राम

घमंड नशा ही ऐसा है जो
बिल्कुल ही अंधा कर देता है

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1 SEP AT 23:59

हर जिंदगी किसी न किसी असफलता का नाम है
कौन यहां भगवान हुआ है, सबके सब ही यहां इंसान हैं

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1 SEP AT 22:10

मै कोई शायर नहीं बस काॅपी पेस्ट कर लेता हूं
कुछ खुद के अंदर से तो कुछ खुद के बाहर से

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22 AUG AT 1:21

मैं ग़लत था…
सोचा साइंस पढ़ूँगा, टेक्नोलॉजी अपनाऊँगा,
इंजीनियर, प्रोफ़ेसर, शोधकर्ता बन जाऊँगा।
नये आविष्कारों, नये नवाचारों की रौशनी से,
राष्ट्र और विश्व तक को जगमग कर जाऊँगा।
(Please read full in the Caption)

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22 AUG AT 0:47

पैसा, पावर, पोज़ीशन ख़ातिर,
राग़िब हुजूम नज़र आता है।

झूठ, अपराध और भ्रष्टाचार ही,
फ़तह का सुरूर नज़र आता है।

जीना गर जिंदगी खातिर फिर,
जीवन बेव़जूद नज़र आता है।

राज़ क्या समझें और किसे समझायें,
हेम भी अब क्या खूब नज़र आता है।

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5 JUL AT 2:04

बेबख़त बेवजह बन गए, नगम-ए-जिंदगी कुछ
ख्वाब सारे कुर्बान और फिर हम सुलह बन गए

तमन्नाओं की तरकश, गुम हो गई कहीं
ख्यालों की तीर, इक इक वजह बन गए

देखते रहे खेल हम, युं राहों पे चलते चलते
जाने कब खिलाड़ी तुम, और खिलौने राज़ गुमसुदा बन गए

भरोसा नहीं है तुमपे, और तुम्हारी राज़ भरी किताबों पे भी
अंकड़ भी तो देखो मन की, आये नहीं तुम सामने तो हेम
और भी सख्त सदा बन गए

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