ये ऊंचे ऊंचे हिल्स, खुले हुए बाल।
रिमझिम बारिशों की गिरती बूंदे।
Work From Home ही सही।
फीलिंग पेरिस के Eiffel Tower वाली।
कप में चाय, किताबों का साथ,
खिड़की के पास वो सपनों की बात।
कहीं दूर दिल फिर भी उड़ चला,
इस सादगी में भी है एक फ़साना भला।-
सिर्फ एक दिन ही किसलिए।
हर साल, हर दिन, हर पल, हर क्षण जरूरी है।
हर वो इंसान की कद्र कीजिए,
जो सम्मान के काबिल है।-
If anyone's favourite actor or actress is doing a robbery or a negative character in the movies. Their fans enjoy watching and supporting them.
Majors Indians are the same nowadays which is perfectly fit for Indian Politics.
It's time to have the educated prime minister, educated president, educated leaders and equally applicable to MPs and MLAs.-
"Wishing you a prosperous Diwali and an inspiring year in all your professional endeavors!"
-
"मैं भारत के भविष्य के प्रति सदैव आश्वस्त और उत्साहित रहा हूं।" - "जिस दिन मैं अपने लिए कुछ नहीं कर पाऊंगा, उसी दिन मैं अपना बैग पैक करूंगा और चला जाऊंगा।"
भारत के सच्चे और अनमोल रत्न।
रतन टाटा सिर्फ नाम ही काफी है।।-
भले हो दिल में चाहे लाख जख्म।
पर बोलने में थोड़ा संकोच करती है।।
भले दिल है उसका बहुत बड़ा।
खैर ये मानने को वो तैयार नहीं होती है।।
खुद से भी ज्यादा तो अपनों को फिक्र करती है।
इसलिए अक्सर हमेशा वो उदास रहती है।।
जब हमारे पास बचपना हो।
वो बात हमेशा समझदारी वाली ही करती है।।
लड़ती है........ झगड़ती है....….
लेकिन प्यार भी हमसे उतना ही करती है।
रक्षा बंधन की बहुत सारी बधाईयां।।-
कभी रास्ते बदल गए।
तो कभी इरादे बदल गए।।
कभी मौसम बदल गए।
तो कभी हालात बदल गए।।
और तो और तुम भी बदल गए।
खैर ईरादतन हम नही बदले।।-
जिम्मेदारी के बोझ से थक चुका हूँ,
हां मैं मजदूर हूँ।
सुबह सात बजे घर से निकल गया,
खाने की परवाह तक नहीं किया साहब,
क्योंकि मैं मजदूर हूँ।
चाहे सूरज की तपती दोपहर हो,
चाहे हो बारिश या हो आंधी तूफान l
कभी रुका नहीं, थका नहीं, डिगा नहीं,
हां मैं मजदूर हूँ।
बीबी और बच्चे कहते रहे आज थोड़ा जल्दी आना,
किस्मत से लाचार हूं पर, हां मैं मजदूर हूँ।
खुद की तकलीफे परिवार से परे रखता हूँ।
क्योंकि हां मैं मजदूर हूँ।
गर्व से कहते है हम मजदूर हैं मजबूर नहीं।
आप सभी को मजदूर दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।-
बड़े दुर्भाग्य की बात है कि हमारे देश का एक अनपढ़ व्यक्ति जो भारत के कीमती संसाधनों को फक्र से बेच रहा है। उसकी मानसिकता इतनी गन्दी है की वोट पाने के लिए किसी भी हद तक गिर सकता है।
अपने कीमती वोट का इस्तेमाल सोच समझ कर करें।
भारत को नई ऊंचाइयों पर लेकर जाना है तो अंध भक्ति न करें। झूठ, मक्कार और पाखंड वाले व्यक्ति को अपने घर भेज दे। अगर कोई नेता पसंद नहीं तो नोटा का इस्तेमाल करें।
अपने वोट का इस्तेमाल सोच समझ कर करें।-
चलो एक बार फिर मतदान का त्योहार मनाते हैं।
झूठे और मक्कार नेताओं के खिलाफ।
संविधान के अनुच्छेदों से खेलने वाले के खिलाफ।
मित्रों को सही सलामत विदेश पहुंचाने वाले के खिलाफ।
देश की संपति बेचने वालो के खिलाफ।
न्यूज तंत्र को मुट्ठी में लेकर घूमने वालों के खिलाफ।
जुमले और फेकने वालों के खिलाफ।
गलत तरीके से लोगो को भड़काने के खिलाफ।
हिंदू और मुसलमानों को लड़ाने के खिलाफ।
विधायकों की खरीद बिक्री करने वालो के खिलाफ।
नोटा दबाएं पर मतदान करें।-