कितने सितारे मिलते होंगे , तब तेरे जैसे दोस्त बनते होंगे
तुमसे मिलन की चाह में, न जाने कितने इंतजार करते होंगे
शायद यह शायर लकी था, दोस्त जो तुमसे मुलाकात हुई
हां अनजानी राहों में नहीं, कॉलेज में पहली दफा बात हुई
यूं सिलसिला बढ़ा करीब आने का, दोस्ती भी गहरी हुई
तुम छाया देने वाली वो पेड़, जैसे ही जेठ में दुपहरी हुई
हंसते खेलते हमेशा रहे साथ, ज़िंदगी भी साथ तेरे जीना है
दोस्ती सलामत रहे हमारी, बुढ़ापे में साथ तेरे चाय पीना है
कभी कभी तेरी हर बात में, यूं मैं अक्सर खो जाता हूं
दोस्ती या प्यार पता नहीं, तेरे ही सपनों में सो जाता हूं
दुआ है रब से खुश रहो तुम, यूं ही दिल की बात करती रहो
अबकी इस नए साल में भी, इस दोस्त से अफसाने कहती रहो
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