चकाचौंध उजियारा फिर भी
दिल में कहीं अंधेरा है,
मेरे मन की बगिया में
नहीं दिखता कोई सवेरा है।-
कलम तो तूने इश्क की थमा ही दी थी।
.इतना नीचे भी नहीं आओ ... read more
मैं उलझ गया हूं
मायनो के जंगल में,
ऐ शब्द
मुझे बादलों के पार ले चलो..-
हां सोना चाहता हूं मैं,
तुम्हारी गोद में सर रख।
लहराते गेसुओं के तले।
सूंघना चाहता हूं
तुम्हारे शरीर की महक
अपने नथुनों में भर।
महसूस करना चाहता हूं।
तुम्हारी कोमल उंगलियां,
मेरे बिखरे केशों के बीच,
इठलाती हुई।
पाना चाहता हूं
तुम्हारी नर्म हथेलियां
मेरे भाल पर।
हां मैं सोना चाहता हूं।-
कुछ खो रहा हूं मैं,
कुछ पा रहा हूं मैं।
जिंदगी की धुन,
यूं ही गा रहा हूं मैं।-
ढाई आखर प्रेम का
नही ये पूरा होय,
जो समझे वो खुश रहे
ना समझे वो रोय।-
इश्क को अब गुनगुनाना चाहता हूं,
जिंदगी फिर मुस्कुराना चाहता हूं।
उसकी यादों में मुझे खोने का मन है,
उसकी यादें फिर सजाना चाहता हूं।-
तेरे काम का नही था
पर बेकाम भी नही था।
ज्यादा नाम तो नही पर
बेनाम भी नही था।
मैं लायक नही था तेरे
पर नालायक मैं नही था।
तेरे ख्वाब में नही मगर
बे ख्वाब मैं नही था।-
घटा दिए है हमने
अनुभवों के वर्ष।
और आज हम उम्र में
बालिग हो चले है।-
रक्ताभ हो गया है
आसमां नीला था जो,
खुशबू मेरे बगीचे की
गुमशुदा हो गई।-