Haseema  
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Joined 16 November 2021


Joined 16 November 2021
16 DEC 2023 AT 19:05

वो रोना तो चाहती है,
अपने आंसू दिखा नहीं सकती,
हँसाना तो आता है उसे,
पर अपनी हँसी कहीं खो बैठी है।
अपनी ही मंजिल की तालाश में उसके रास्ते उलझे हुए हैं,
वो डरती है कही देर ना हो जाए इन उलझनो को सुलझाते, सुलझाते।

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15 DEC 2023 AT 18:33

खुद को तमाम यादों की जंजीरों से आज़ाद कर,
अपनों को अपने बेबुनियाद उम्मीदों से रिहा कर,
लोगों के रवैयों में बदलाव के लिए तू खुद को तैयार कर,
दावों पर गौर न करके उनके हरकत का ख्याल कर,
जो हुआ उसकी अजियत में खुद पर जुल्म ना कर,
लाज़मी है तेरा भी मतलबी हो जाना इस सफर में,
किसी के सफर का हिस्सा ना बन कर तू खुद का सफर तैयार कर।

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14 DEC 2023 AT 17:49

हर खामोशी के पीछे बातों का उफान छुपा होता है,
एक उम्मीद के टूटने से यह मन कहां आज़ाद होता है,
और जब याद आते हैं गुजरे वक्त के वह हसीन लम्हे तो यह आंखें क्यों भिगोता है,
होती मुकम्मल बहुत सी दुआएं हैं,
पर जो कुबूल नहीं, एक दुआ पर क्यों यह दिल आस खोता है,

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13 DEC 2023 AT 9:35

बातों का समन्दर लेकर चलती है,
पर कुछ भी कहने से डरती है।
जाने वो क्यों चुप सी हो गई है,
शायद कुछ खफा सी हो गई है,
अपने ही फैसलो से।
जिसको ख्याल था सबका,
अब कुछ बेपरवाह सी हो गई है।
इख्तियार करती है वो अपनी खामोशी का,
पर अपने जज़्बात बयां नहीं करती है।
वो समझती है की बदलाव ज़रूरी है,
और इसलिए शायद वो खुद को बदलने की कोशिश करती है।

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12 DEC 2023 AT 13:39

किसी को प्यार मिला, तो किसी को रूसवाई, किसी को महबूब मिला, तो किसी को तन्हाई, कोई इकरार कर पाया, तो किसी का इंकार लाज़मी था,
किसी की हर सहर में उसका जिक्र था, तो किसी कि रातों में नूर नहीं था, कोई मशरूफ उसके ख्यालों में,
तो किसी कि राहों पे पहरा था, कोई देस्तियाब उसकी हसरत के लिए, तो किसी को मलाल उसका ना होने का,

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11 DEC 2023 AT 12:39

मसला नए तालुक बनाने का नहीं है, मसला तो तालुक बना कर फिर अजनबी होने का है।

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10 DEC 2023 AT 17:46

गुस्ताखियां

नहीं कहती की यह प्यार है सिर्फ एक नज़र कि मुलाकात है,

यह नज़रो की गुस्ताखियां दोनों तरफ से हुई है, इस पाक दिल को नापाक बनाने में नज़रो का पूरा कसूर रहा है,

पर तू बता ये गुस्ताखियां गलतफहमियां कब बनी?

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9 DEC 2023 AT 19:43

बे जुबाँ इश्क

वो हसरत हमारी तेरे चेहरे की वो कशिश देखने की,
वो तेरी चाहत में मेरा नमाज़ी हो जाना,
वो हर वक्त मेरी बातों में तेरा जानबूझकर जिक्र करना,
वो अपने जज़्बात छुपा कर तुझसे नज़रे ना मिलाना,
वो अपने ख्यालों में तुझे अपना हमदर्द बताना, बस खूबसूरत लगता था।

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7 DEC 2023 AT 16:16

गुज़रे कल का एहसास कहां से लाऊं मैं,
जो खो गया तुझ पे, वो ऐतबार कहां से लाऊं मैं,
खामोशी से सह जाऊं सारी बातें, बयां करने की आवाज़ कहां से लाऊं मैं,
मेरे हर जिक्र में शामिल तू, बे जिक्र करने का हौसला कहां से लाऊं मैं,
सोचू तो सैलाब, ना सोचू तो तेरा ख्याल कैसे भुलाऊ मैं,
मशरूफ तू भी, मशरूफ मैं भी,
पर तेरे साथ घड़ी भर वक्त बिताने का वक्त कहां से लाऊं मैं,

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7 DEC 2023 AT 12:05

क्यूँ छोड़ूअपने सपनों को जो कल को मेरी पहचान बनने वाले हैं,

माना सफर आंसा नही होगा पर मंजर जो तभी रंग दिखाएगा, लाख मुश्किले आंएगी राहो मे, हो सकता है खो जाऊँ राहों के भुलभुलैया में मंजिल की तालाश में।

बहुत कम मिले है या मिले ही नहीं है पूरे सफर में हौसला आफजाही करने वाले,

पर जो खुद का साथ मिल गया तो, समझ लो इस सफर का आधा सफर तम कर लिया तुमने ।

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