haseeb ahmed   (H.Ahmed)
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Joined 30 July 2017


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Joined 30 July 2017
16 MAR 2022 AT 13:14

एक ख्वाब सजाया है मैंने
कि जब बरसात हो तो  तू मेरे साथ हो
रोशन सवेरा या काली घनी रात हो
मेरे हाथ मे बस तेरा हाथ हो
मैं जब जब  इश्क़ को सोचूँ
मुझे बस तेरा एहसास मिले
मुझे सुकून की जब तलाश हो
तेरा अक़्स बस मेरे साथ हो
मैं जियूँ बस तेरे लिए
तेरा नाम बस मेरे साथ हो
एक ख्वाब सजाया है मैंने

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25 FEB 2022 AT 6:21

तुमसे हर ख़्वाब है
तुमसे हर आफताब है
छोटा सा कोई लम्हा हो
या आलीशान महफ़िल
तेरे बिना बनती नही मेरी बात है
तू ही मेरी आरज़ू
तू ही मेरा कारसाज़ है
तुमसे मेरी हर सांस है
तेरा हर हुक़्म
मेरे सर का ताज है— % &

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16 MAR 2021 AT 1:34

मेरा एक ख्वाब है
कि तेरा हर ख्वाब मैं पूरा करूँ
सारी खुशियाँ बस तेरे हिस्से में
तेरे हर ग़म का हकदार  बस मैं बनूँ
तुम्हें पसंद है आफ़ताब-ए-सुबह
हर उगता आफ़ताब तुम्हारा
तेरे हर अंधेरों का हिस्सेदार बस मैं बनूँ
कि बेचैन करती है तेरे चेहरे की उदासी
तू हर पल मुस्कुराये
तेरी हर उल्फ़त का कारसाज़ बस में बनूँ
तू तलाशे जब जब इश्क़ को
हर बार तेरा तलबगार बस मैं बनूँ
मेरा एक ख्वाब है
कि तेरा हर ख्वाब मैं पूरा करूँ

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5 FEB 2021 AT 21:21

सवेरे की धूप से सुनहरा तुम्हारा एहसास है
तुम्हारे साथ या तुम्हे सोचकर जो बिताया
हर एक लम्हा मेरे लिए खास है,
क्या सांस ,क्या धड़कन,
मेरे जिस्म का हर एक क़तरा
सिर्फ और सिर्फ तेरे ही पास है
कि तेरे बिना एक लम्हा भी सोचूँ
मेरे बस की नहीं ये बात है
ख़्वाब भी देखूं अगर
तेरे बिना बनती नहीं बात है

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22 DEC 2020 AT 22:08

मैंने टूटता हुआ एक तारा देखा है
खुद को बहुत लाचार बेसहारा देखा है
जिस ओर थी मंज़िल मेरी 
मैन डूबता हुआ वो किनारा देखा है
किस तरह देखूं ख्वाब कोई 
मैंने बार बार खुद को हारा देखा है
अंधेरा ही भाता है अब मुझको 
मैंने खुद से रूठता हुआ हर उजियारा देखा है
मैन टूटता हुआ एक तारा देखा है

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12 DEC 2020 AT 23:18

तेरी मुस्कुराहट के पीछे
कि हर बाज़ी हार कर भी
हम बादशाह बने रहे
कुछ तो था
तेरे ख़याल का जादू
के हम जागते हुए भी
ख़्वाब देखते रहे
कुछ तो था
तेरे अंदाज़ का जलवा
कि भीड़ आगे बढ़ गयी
और हम तुझे ढूंढते रह गए

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12 DEC 2020 AT 23:09

इश्क़ इतना कमजोर तक नही R K
कि मजबूरियां वजह बन जाएं
बेवफाई की

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11 DEC 2020 AT 23:20

ज़िन्दगी मुझे अपनाती ही नही
चाहत मेरी भी है मुस्कुराने की
खुशियां मेरे पास आती ही नहीं
सोचता हूँ तुझे जी भर के गले लगाऊं
तू मेरे ख्वाबों में आती ही नहीं
ख़्वाहिश है
तेरे इश्क़ की बारिश में भीग जाऊं
ये बारिश
मुझ पर तरस खाती ही नहीं
एक खलिश जाती नहीं
ज़िन्दगी मुझे अपनाती ही नहीं

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10 DEC 2020 AT 14:50


तुझे कोसूं या
शुक्र अदा करूं
ऐ गुज़रते हुए साल
सब कुछ छीनकर
ज़िन्दगी का
मतलब सिखाया है तूने

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30 MAY 2020 AT 0:40

आंसू ही नही होते रोने का सबूत
कुछ सिसकियां खामोश भी होती हैं

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