Harvey Tanwar   (Harvey Tanwar)
42 Followers · 28 Following

read more
Joined 27 October 2020


read more
Joined 27 October 2020
1 APR AT 3:02

बस कुछ दिन की बातों में, चंद मुलाक़ातों में एक आदत बन गई हो तुम।

खूबसूरत एहसासों की मेरे दिल के जज़्बातों की चाहत बन गई हो तुम।

मेरी फ़िक्र, मेरी तन्हाई और दिल के दर्दों की राहत बन गई हो तुम।

हर वक़्त तुम्हारे बारे में सोचना तुम्हारे ही ख़्यालों में खोए रहना, मेरे हर पल की आहट बन गई हो तुम।

मेरा प्यार, मेरा ख़्वाब, मेरी चाहत और क्या ही कहूँ मेरी ज़िंदगी का सबसे अहम हिस्सा बन गई हो तुम।

-


24 DEC 2023 AT 23:40

मैंने तेरी यादें अलमारी में संजोयें रखी हैं,
कुछ इस दिल में तो कुछ चीज़ों में बोये रखी हैं।

तेरी दी हुई क़मीज़ के धागों में तेरी बातें पिरोयी रखीं हैं,
मैंने तेरी यादें अलमारी में संजोए रखी हैं।

आज अलमारी से कुछ पहनने के लिए देखा तो उस तेरी नीली क़मीज़ पे नज़र पड़ी, और तेरी यादें वो सारी बातें आँखों के सामने से एक ही पाल में हो के गुजर गई।

आज मैंने तेरी दी हुई क़मीज़ पायी हैं,
आज फिर मुझे तेरी याद आयी हैं।

-


21 DEC 2023 AT 21:53

जब भी देखूँ तुमको ये नज़रें,
तुम्हारी आँखो पे ही ठहर जाती हैं।
ये काली झील सी गहरी आँखें
अपनी और मुझे खींचे जाती हैं।
जाने क्या छुपाए बैठी हो इनमें,
तुम्हारी आँखें मुझसे तो ये,
एक पल में ही बहुत कुछ कह जाती हैं।

क्या कभी किसी ने,
करी हैं कोशिश इनको पढ़ने की?
मुझे लगता अगर पढ़ने बैठो तो,
लगता पढ़ने में सारी उमर गुजार दी जाती हैं।

क्या कभी समझा हैं किसी ने दर्द इनका?
पर मुझे लगता हैं,
तन्हाई में इनसे दरिया बहाई जाती हैं।

मैं चाहता हूँ झील सी आँखो में,
डुबकी लगा के इनकी गहराई नाप लूँ।
कभी देखूँ फिर से इनको तो इनका दर्द भाँप लूँ।
जब ये आँखें देखे मुझको मैं इनपे ही अपनी नज़र थाम लूँ।
मैं देखता हूँ जब भी तुमको,
ये नज़रें तुम्हारी आँखो पे ही ठहर जाती हैं।

-


2 NOV 2023 AT 1:19

मैं चलता रहूँगा साथ तुम्हारे कभी नहीं पूछूँगा
तुमसे कि “बहुत दूर कितना दूर होता हैं”।
मैं लिखता रहूँगा “तुम्हारे बारे में”
कभी “तितली” तो कभी “प्रेम कबूतर” बन के
मैं चलता रहूँगा “ठीक तुम्हारे पीछे”
कभी “रूह” बन के तो कभी “चलता फिरता प्रेत” बन के
मैं पढ़ता रहूँगा तुमको कभी “शर्ट का तीसरा बटन” तो
कभी “टूटी हुई बिखरी हुई” लड़की बन के।
पर मैं नहीं मिलूँगा तुमसे “अंतिमा” का रोहित बन के,
मैं मिलूँगा तुमसे मानव कौल बन के।

-


1 NOV 2023 AT 23:52

ज़िंदगी के एक मुक़ाम पे आ के लोग बदल जाते हैं।
कभी ख़ामोश से रहने वाले लोग बहुत बोलने लगते हैं तो
कभी बहुत बोलने वाले लोग ख़ुद ख़ामोश रहने लग जाते हैं।
चलते चलते राहों में कभी मंज़िल तो
कभी ख़ुद रास्ते बदल जाते हैं।
कभी कोई अपनी मर्ज़ी से बदले तो
कभी हालात लोगो को बदल जाते हैं।
बदलते रहते हैं विचार और जज़्बात लोगो से मिल के इसलिए,
कभी लोग हमको देख तो कभी हम लोगो को देख बदल जाते हैं।
ज़िंदगी के एक मुक़ाम पे आ के लोग बदल जाते हैं।

-


31 OCT 2023 AT 14:15

एक दिन जब मैं तुमसे दूर चला जाऊँगा
ज़्यादा नहीं सही थोड़ा बहुत याद तो ज़रूर आऊँगा।
और कभी भूलने की कोशिश भी की तुमने तोः

कभी तुम्हारे आँगन में फूल की ख़ुशबू बनकर बिखर जाऊँगा।
कभी बारिश की बूँदे बनकर तुमको भीगा जाऊँगा।
कभी तुम्हारी आँखों से आँसू बन के निकल जाऊँगा।
कभी ख़्वाबों में आ कर तुमको सताऊँगा।
और सच में मिला कभी तो
सच में तुम्हारी बाहों में आकर बिखर जाऊँगा।

एक दिन जब मैं तुमसे दूर चला जाऊँगा
ज़्यादा नहीं सही थोड़ा बहुत याद तो ज़रूर आऊँगा।

-


29 OCT 2023 AT 16:06

चलो क्यों ना दिमागी बाधाओं को हटाया जाए।
चलो क्यूँ ना पत्थरों में भी फूल उगाया जाए।

-


26 OCT 2023 AT 9:04

जब प्रदूषण से आसमान में,
चाँद तारे दिखने बंद हो जाएँगे।
जब सारे पेड़ काट दिए जाएँगे,
और बारिशें आनी बंद हो जाएँगी।
जब झरने गिरने बंद हो जाएँगे,
और नदियाँ सूख जाएँगी।

तब कवियों की कल्पनाएँ ख़त्म हो जाएँगी,
और कविताएँ भी ख़त्म हो जाएँगी।
और जब कविताएँ ख़त्म हो जाएँगी,
तो फिर प्रेम भी ख़त्म हो जाएगा।
और जब प्रेम नहीं होगा,
तो सब कुछ ख़त्म हो जाएगा

-


24 OCT 2023 AT 0:38

घर से दूर सुकून की तलाश में जब भी निकले
ख़ुद को हमेशा पहाड़ों में ही पाया।

अकेलेपन में ही सुकून मिला मुझे,
भीड़ में तो ख़ुद को हमेशा तनहा ही पाया।

ये झरने, नदियाँ ये बातें करते है मुझसे
जब भी परेशानियों में था ख़ुद को मैंने इनके ही क़रीब पाया।

जब भी भटका हूँ मैं ज़िंदगी के सफ़र में
ख़ुद को मैं पहाड़ों में ही ढूँढ पाया।

-


21 OCT 2023 AT 3:33

कभी कोई छोटी सी आस तो
कभी होठों तक आयी वो बात अधूरी रह जाती हैं।

कभी एक खूबसूरत सुबह की चाहत तो
कभी किसी के साथ वो एक शाम अधूरी रह जाती हैं।

कभी किसी के साथ होने के बाद भी मुलाक़ात तो
कभी किसी के साथ बितायी हुई पूरी रात अधूरी रह जाती हैं।

ज़िंदगी में चलते चलते कभी याद कुछ घड़ियाँ ख़ास रह जाती हैं। और
इन अधूरी चीज़ों को पूरा करते करते एक दिन वो आख़िरी साँस पूरी हो जाती हैं।

-


Fetching Harvey Tanwar Quotes