तुम्हारी रोनक फुलकारी सी है,
तुम्हारा खुश होना, कलाकारी सी है।
तुम एक मेहल कि तरह हो,
जगमती दुनिया, तुम्हारे पीछे मलहरी सी है।
आँखें मिच कर भी तुम हाँस्ती हुई लगती हो,
बिंदी नैन नख़स्, तय करती है
तुम सूट मे ही जाचती हो।
तुम्हारी ताकत तुम मे ही कहीं चुपी है,
तुम्हारे नाच के बिना, दुनिया ही रुकी पड़ी है।
पंख तो तुम लेकर पैदा हुई हो,
तुम्हे पाने को 1326 लोगो की लगी झड़ी है।
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Young, dumb and broke
Vedi. Veni. Amavi
11:11
Insta a/c =Harshwa... read more
प्यार ख़तम सा हो रहा है,
अब नफ़रत का दौर शुरू हो रहा है।
इंसान दूर जाने को मजबूर है,
जिंदा लाशो का खैर शुरू हो रहा है।
गली मोहल्ला भूल गयी हो मेरा,
कोई बात नही आगे नया शहर शुरू हो रहा है।
काफिले अब ख़तम हो रहे है,
घाव भी भर गए,
अरे इतने पागल कैसे हो गये , ज़ख़्मों पर ही मर गए।
कलयुग का लगता है केहर शुरू हो रहा है ,
अच्छे खासे रिश्तों मे बैर शुरू हो रहा है।-
कहते है शिव एकांत है,
सत्ये शांत है।
उल्झानो से भरे संसार मे फिर देखा एक दिन तुमको,
तुम मे कुछ यूँ शांत झील का प्रांत है।
मैं धतूरे सा माधोष्
बेलपत्र सी तुम, को पूजा करते देख रहा था।
इस उठा पटक सी ज़िंदगी मे,
मौन मे जगती अगरबती सा मेहक रहा था।
सुलझी हुई स्वेटर हो तुम,
धागे उलझ नही सकते।
शिव से मिल कर , शिव मे मिलकर
तुमसे अब शिव तत्व खोह नही सकते।
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पानी की बूंद गिरने से ,
जो आँखे मेरी खुल गयी।
अंदर की चिन्खो ने जो सुलाये रखा था।
मैं चेतन होता तो देखता ज़िंदगी ,
मुझे तो भरहम् ने दबाये रखा था।
मेरे कदम कदम चलने पर ना ज़मीन को मज़ा आया ,
दुबे घमंड ने मुझे उपर उठाये रखा था।
मैं चाहता था म्हू के बल गिरना एक दिन,
सामने आता वो चेहरा जो मैंने छुपाये रखा था-
तुमसे सीखने को बहोत कुछ मिलता है,
इतना कुछ सेहने के बाद भी,
जब हाँस्ता चेहरा खिलता है।
अंजान मिले थे हालांकि अंजान है भी,
पर जिसे पहचान मिल जाए ऐसा कहा इंसान मिलता है।
नानी का प्यार ही ऐसा होता है।
दिल मे नर्मी ला ही देता है।
तुम लाड़ती सौ चीजों से हो,
और आखिर मे ,तुम्हे जीता भी देता है।
तुम सादगी से खूबसूरती को मात देते हो,
ज़िंदगी के बीज को मजबूती की खाद देते हो।
कुछ हज़ार लोगो की तारीफ की कहा जरूरत तुम्हे,
तुम खुद को पहचान कर, ज़िंदगी को दाद देते हो।
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तेरी फ़िक्र से फुर्सत निकाल,
पूछ लू तु कैसी है।
और जब तु हांसे तो पता लगे,
मेरे जैसी है।
वक़्त की कातोती काट कर,
पास तेरे आना हो।
बातों कि बाड़ हो,
किस्सों का खजाना हो।
कभी नाराज़ हो तो तेरी मिठी डाँट हो,
परवाह से भारी तेरी हर बात हो।
तेरे मेरे परिवार कि बातें ,
और अपनो जैसा तेरा साथ हो।
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तेरी फ़िक्र से फुर्सत निकाल,
पूछ लू तु कैसी है।
और जब तु हांसे तो पता लगे,
मेरे जैसी है।
वक़्त की कातोती काट कर,
पास तेरे आना हो।
बातों कि बाड़ हो,
किस्सों का खजाना हो।
कभी नाराज़ हो तो तेरी मिठी डाँट हो,
परवाह से भारी तेरी हर बात हो।
तेरे मेरे परिवार कि बातें ,
और अपनो जैसा तेरा साथ हो।
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नूर की तारीफ तो कि होगी कईयों ने,
मैं बात तुम्हारी सादगि की करू।
तुम्हारी आँखे, मुस्कान और तुम्हारा तिल (हाँ)
इन्हे देख अपनी नजरे भरूँ।-