ये जो तुम अपनी निगाहों के तरकश से,मुद्रा तीर चलाती हो ना,इनसे बस मैं घायल होता हूँ ज़ालिमा,मरता तो मैं तुम्हारी झुकी पलको से ही हूँ। - हर्षनाद
ये जो तुम अपनी निगाहों के तरकश से,मुद्रा तीर चलाती हो ना,इनसे बस मैं घायल होता हूँ ज़ालिमा,मरता तो मैं तुम्हारी झुकी पलको से ही हूँ।
- हर्षनाद