Harshvardhan Singh Vishain  
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Joined 8 January 2018


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14 FEB 2022 AT 20:13

बेपनाह जब इश्क़ था फिर करा न क्यों उससे ब्याह?
भर जीवन मांगा करे, फिर क्यों वह इश्क़ पनाह ?

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14 FEB 2022 AT 19:56

पाई जिसने प्रेयसी मना रहा त्यौहार...
जिसके हिस्से बेबसी पड़ा है यूँ बेकार।

पर,
एकांत मोहब्बत(solitude) का किया
जिसने अंगीकार
सच मे जीना सीख गया...
खुद में खुद को ढूंढ़ना यही है सच्चा प्यार ।

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28 JAN 2022 AT 0:19

तुम सिसकियों की
वजह पूछते हो

हिचकियों में
वफ़ा ढूंढते हो

कुछ बूंद मिली पानी की
और हवा हो गए सब

फिर क्यों ये गुस्ताखी
बेवजह करते हो

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6 DEC 2021 AT 23:51

गली गली बाँटो नही यूँ दिल का दर्द हुज़ूर ....
हर घर मरहम तो मिलता नही मिलता नमक जरूर ।।

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28 NOV 2021 AT 2:38

कभी खामोश बैठोगे कभी अकेले बुदबुदाओगे।
हम उतना याद आएंगे तुम हमे जितना भुलाओगे ।।

कभी बिस्तर से लिपटोगे, कभी आईना देख इतराओगे।
हम उतना याद आएंगे तुम हमे जितना भुलाओगे ।।

कभी बेमतलब का रोना, कभी बेहिसाब मुस्कुराओगे ।
हम उतना याद आएंगे तुम हमे जितना भुलाओगे ।।

हो तुम फूल सी नाजुक तुम्हारा दिल भी कोमल सा....
सामाजिक बंदिशो को कहो क्या तोड़ पाओगे ??
हम उतना याद आएंगे तुम हमे जितना भुलाओगे ।।

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24 NOV 2021 AT 23:51

यूँ पलके न झपका , जरा दिल को भी आराम दे।
मुझे क्या देखती हो पगली अपने वाले पर ध्यान दे ।

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5 OCT 2021 AT 23:18

मिले तो कभी किसी को रब भी नही....
तो क्या इबादत बंद कर दोगे ??

मिली तो कृष्ण को राधा भी नही ...
तो क्या किसी और से मोहब्बत बंद कर दोगे??

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7 AUG 2021 AT 23:06

नूर भी है, गुरुर भी है, दूर भी है....
वो हीरो में मानो कोहिनूर भी है ...

उसे औरो की तरह पैसो से हासिल नही
अपनी ज़िंदगी मे शामिल करना चाहा...

बस इसी बात की मिली सजा...
और शायद यही मेरा कसूर भी है

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25 JUN 2021 AT 20:56

झाकोगे अंदर तो टुकड़ो में मिलोगे
फिर क्यों ये मुस्कुराता चेहरा
जमाने के लिए है ?

वो प्रेम, वो फेम ,वो नाम के आगे लगाना
किसी और का सरनेम
सच कहना
क्या सिर्फ दूसरे को दिखाने के लिए है ?

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24 JUN 2021 AT 9:08

वो शौकीन है शायरी की
मैं बन गया कुछ-कुछ शायर सा ...
डाला दिल पे डाका सरेआम
हुआ मुकदमा एक दायर सा ...

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