ईजल पर बैठे कैनवास पर
रंग आपस में बतियाते रहे
फिर कभी शब्दों के आंगन में
अर्थों के साथ खेलते रहे
यह तो ख्वाब थे जो
मेरे ख्यालों में उतरते रहे
और तेरे होने का
प्रमाण देते रहे...
आसमान भी एक छत होती है
जिसपर घर की दीवारें
नहीं चढ़ाई जा सकती,
इसके नीचे खुद होना
मुश्किल हो जाता है
तेरा होना मेरे लिए फ़क़त
एक छत का होना है
जहां तेरे रंग और
मेरे शब्द साथ रहते हैं
जो मिल कर भी मिलना
बाकी हो वह खोज हो जाओ
मैं अमृता तुम इमरोज़ हो जाओ...
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