Harshvardhan Mishra   (हर्षवर्धन मिश्रा)
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25 September
I like read and write Hindi quotes.
A Tech blogger at IoTbyHVM.ooo
Joined 7 June 2018


25 September
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30 JUN AT 22:28

तो क्या हुआ बिछड़ गए,
कुछ पल तो साथ जिए थे।
हर मोड़ पे नहीं मिलते हैं लोग,
पर हम कभी मिले तो थे।

फिर कभी मिलेंगे चुपके से,
जब वक़्त थोड़ा ख़ास होगा।
आज अलविदा सही, मगर
फिर एक मुलाकात होगी।

तेरा दिल दुखाना चाहा नहीं,
तेरी खुशी से बढ़कर कुछ भी नहीं।
हँसी में छुपा लूँ आँसू अपने,
ये दर्द भी शिकायत नहीं।

हर दास्तां पूरी नहीं होती,
कुछ बातों में रह जाती है कमी।
बस इसी उम्मीद में चलते हैं हम,
कि फिर एक मुलाकात होगी।

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23 MAY AT 23:13

उसने दबे स्वर में कहा
सुनो...
मैंने पूरा ध्यान उस पर लगा दिया
वो कुछ कहना चाहती थी
कुछ बताना चाहती थी
लेकिन थम सी गयी
ठहर सी गयी
मानो सारा कुछ मौन हर ले गया
जो होना था व्यक्त वो अव्यक्त ही रह गया
आने थे अधरों पर जो शब्द
वो अश्रु बन बहते गये

पोंछना चाह उन अश्रुओं को मैंने जब
तो अपने ही हाथों को जंजीरों में जकड़े पाए...

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10 DEC 2024 AT 12:21

हमें न ये फूल चाहिए न प्रेम प्रिय
हैं कुछ दिनों का ये खेल प्रिय
हम है अब समझ चुके सार प्रिय
हमें ना थमाओ अश्रुओं की बहार प्रिय

मेरे ह्रदय में न बोओ बीज प्रेम का प्रिय
प्रेमवृक्ष को हम न दे पायेंगे जलधार प्रिय
कोरी कल्पनाओं को हकीकत न बनाओ प्रिय
बसंत से पहले पतझड़ का मौसम न लाओ प्रिय

स्वीकार नहीं निमंत्रण इस कथित प्रेम का प्रिय
क्योंकि कर न पाओगे समर्पण तुम प्रिय

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10 DEC 2024 AT 12:17


वक्त का तो काम है, दहलीजें बनाना
पर तुम एक बार लांघ के तो देखते
शायद मंजिल की तस्वीर कुछ और होती

क्योंकि उस वक़्त की दहलीज पर
हम कुछ हसीन पल छोड़ आए थे
उस मोड़ पर हम उनके
लिए अपना दिल छोड़ आए थे

वक्त की बेड़ियों में पांव फंसा कर नही रखते
यूं ज़िंदगी के हर मोड़ पर रुक कर शिकायत नहीं करते

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7 DEC 2024 AT 14:48

दिन बीता दिया की निशा रागिनी छेड़ेगी
इस सघन तिमिर में आज नई तरंग बहेगी
व्याकुल हृदय में चांदनी नई उमंग छेड़ेगी
मीत के प्रीत में नया एक प्रेमगीत लिखेगी

इन बलखाती जुल्फों से चंचल हवा बहेगी
आज मधुर स्मृतियों की नई कविता बनेगी
मधुमय नयनों में मौन की नई भाषा बनेगी
तुम ठहर जाओ इस पहर हर जिज्ञासा शांत होगी

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10 NOV 2024 AT 14:51

हम करते रहेगें तारीफ़
इस रूप रंग की
जताते रहेंगे हम
मिठास इन होंठों की
बस यूं ही रहो इन बाहों में
हम नापते रहेंगे गहराई इन आंखों की
लेकिन जब ढले ये यौवन
तब तुम भी नाप लेना हद मेरे प्रेम की

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1 FEB 2024 AT 1:57

खोई स्मृतियों का क्या स्मरण करू
मैं तो हूं बढ़ चला सृजनता की ओर
विस्मृत विचारों का कोई बोझ नहीं
अधूरी महत्वकांक्षाओं का अफसोस नहीं

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5 JUL 2022 AT 19:36

एक युद्ध सा छिड़ा है अंतर्मन में
एक ज्वार सा उठा है विचारों में
चल रहा है फिर मंथन का एक दौर
जुनून सा है जाना है अब इसी ओर
करना है सार्थक उन सभी प्रयासों को
कर रखें हैं जो सभी मैने अनवरत
रहूंगा तटस्थ मैं पाने लक्ष्य को
प्रयासों की सीढ़ियों से ही सही
पर झुकाऊंगा जरूर पर्वत के शिखर को...

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5 JUL 2022 AT 19:04

अच्छा सुनो...
जाते जाते यूं मुड़ मुड़ के
देखा ना करो
क्योंकि तेरी मुस्कुराहट
एक बेचैनी सी दे जाती है
कुछ तो सोचा करो मेरा
क्योंकि तेरी मासूमियत पर
तो थे ही फिदा हम
ऊपर से तेरी ये आंखे
जिसमे खो सा जाता हूं मैं
न सज ना संवर तू
क्योंकि तेरी बिंदी पर ही
मर जो जाते है हम

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5 JUL 2022 AT 18:44

सफर चल रहा है
वक्त भी गुजर रहा है
पहुंचूंगा भी तुझ तक
क्योंकि मेरा दिल कह रहा है
यूं खामोशियां न रख
वक्त के साथ चल
कोशिश तो कर
आखिर मिलना जो हमें है
अगर राह न मिले
तो है निराश क्यों
फिर शुरू करेंगे सफर
थे चले जहां से
पर पहुंचूंगा जरूर तुझ तक
क्योंकि मेरा दिल कह रहा है...

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