ज्यादा पढ़ा लिखा इंसान, अनपढ़ से भी ज्यादा मूर्ख हैं अनपढ़ सुनी हुई बात पर यकीन कर लेगा, लेकिन पढ़ा लिखा इंसान उस बात को पुस्तकों में ढूढ़ेगा, जबकि वो अच्छी तरह से जानता हैं कि पुस्तकों में लिखी बातों और तत्कालीन बातों में जमीन आसमान का अंतर होता हैं।
“हां…डरता हूं, लड़ता हूं, मैं उन राजनेता और लोगों से, जो ख़ुद को गांधी का भक्त और उसका चेला बताते हैं, जान गंवा दी जिसके लिए कई अनगिनत वीरों ने अपनी, ये गांधीवादी कहीं फिर से उस भारत का टुकड़ा न करवा दे।” #GandhiNotFatherOfNation
“ ये चांद जैसा मुखड़ा, चांदनी रात और न जाने क्या-क्या, श्रृंगार रस का वर्णन अब और ज्यादा नहीं इस जमाने में, शरीर से प्रेम करने वाले प्रेमी को चाहिए अब केवल शरीर, प्रेम का नाम दे जिसको हथियाया जाता है इस जमाने में।”