शोहरत की इमारत पर गुरुर से झाँकने वाले यह नहीं जानते की,हम जमीन पर सही मगर!उन्हें हम हमेशा नज़रें उठाकर देखते हैं,देखने के लिए नजरें तो वो ही झुकाया करते हैं| - हर्षिता की कलम
शोहरत की इमारत पर गुरुर से झाँकने वाले यह नहीं जानते की,हम जमीन पर सही मगर!उन्हें हम हमेशा नज़रें उठाकर देखते हैं,देखने के लिए नजरें तो वो ही झुकाया करते हैं|
- हर्षिता की कलम