बन जाओ तुम श्याम मेरे ,
तुम्हारी राधा मैं बन जाऊँ।
प्रेम रस के प्याले में तुम्हारे
रोम रोम मैं भीग जाऊँ।
श्रृंगार बन जाओ मेरे तुम,
दर्पण मैं तुम्हे बनाऊँ।
सँवार दो उँगलियों से जुल्फ़ें मेरी,
तुम्हारे साँसों के इत्र से मैं नहाऊं
नैनों से नैनों में सुरमा तुम लगाना,
मुट्ठी को तुम्हारी कलाई मैं अपनी दे जाऊँ।
लगा दो लाली लबों से तुम,
चरण धूल से तुम्हारे माथेे कुमकुम मैं लगाऊँ।
बाहों को तुम अपनी करधन बनाना,
मैं पैंजनिये सी छनक जाऊँ।
वस्त्रों को मुझे जरूरत क्या है
वस्त्र समझ तुम्हे मैं लपेट जाऊँ।
अपने नैनों के दर्पण खोलो श्याम
मैं तुमपे बलि बलिहारी जाऊँ।
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