उनके ज़ख्म भी हमे दवा लगते थे...
कुछ ऐसा जादू वो हवा में भरते थे...
हमारे लफ्ज़ काफ़ी नहीं हमारी मोहब्बत ज़ाया करने के लिए, हम तो उनको जान से ज़्यादा प्यार करते थे..।।
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कई बरसों बाद आज फ़िर तेरी यादे मुझे कमज़ोर करने लगी...
तेरी बाहों की वो गर्माहट मुझ पर तासीर करने लगी..
किस तरह बताऊं कितना चाहती हूं तुझे, तुझसे नाते ख़त्म करने के बावजूद बस तुझे ही अपना खुदा मानने लगी..।।-
हमारा हाल लेना तक उन्होंने लाज़मी न समझा...
बस हुस्न पर मरते हैं वो,हमारे जाते ही किसी और को दे दिया हमारा दर्जा...।।-
तुम्हारे बहती आंखो को
अब कौन रोक पाएगा...
जितनी शिद्दत से हम तुम्हे
चाहते थे,वैसे और कौन
चाह पाएगा...?!-
हमारे इश्क़ के दरिया में वो मोहब्बत के पानी में झलक दिखती थी तो बस तेरी...
अब और ना करा तू इंतज़ार, बर्दाश्त नहीं होती तेरी कमी,आकर सीने से लगाले मुझे नहीं सही जाती हैं यह दूरी..।।-
फ़ना हो गए हम,कुछ इस किस्म की हुई हैं बर्बादी...
वो धोखा जो दिया था उस शहजादे ने, उससे बिखर गई हैं शहज़ादी..-
प्यारी नहीं यह दुनियादारी,प्यारी नहीं यह मोह - माया...
खोफ़ नहीं हमे किसी का भी जब सिर पर हो उस महादेव की छाया..।।-
तेरी सासें ही बस एक मेरे जीने का ज़रिया हैं...
जिसमे डूब जाना चाहती हूं मैं बस वो तेरी आंखो का दरिया हैं..
तेरे सिवा राहत नहीं इस दिल को,तुझसे मोहब्बत करना ही अब बस मेरी क्रिया हैं..।।-
यह चार दिन की मुलाकात को इश्क समझने वाले कौन होते हैं...
पहले खुद से मोहब्बत करना तो सीख लो, यहां इनके जान - ए - दिल हर रोज़ बदलते हैं..।।-
वो टूट गए जब सपने,
वो बिखर गए जब अरमान..
जब हो गए थे हम लाचार,
वो बन कर आए थे
हमारी जान..।।
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