Harshita Shukla   (Harshita shukla)
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Joined 17 February 2019


Joined 17 February 2019
31 DEC 2021 AT 10:55

ये प्रेम बीज जो तुमने रोपा था,
आज वृक्ष बन गया।
आखों से इश्क मेरा अश्रु बनके बह गया।
ये हृदय जिसे मोम तुमने बनाया था,
आज पत्थर बनके रह गया।
ये जिस्म जिसपे नूर तेरा छाया था,
आज वीरान वन बनके रह गया।
ये होंठ जो इबादत तेरी करता था,
आज मौन बनके रह गया।
इश्क का मौसम पतझड़ बनके रह गया।
- हर्षिता शुक्ला

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2 OCT 2021 AT 10:26

शून्य से शून्य की खोज की ओर जा रहे हो,
क्या खोया क्या पाया,
ये हिसाब बेहिसाब किए जा रहे हो।
शून्य से शून्य की खोज की अोर जा रहे हो,
कौन अपना है कोइं बेगाना है,
ये हिसाब बेहिसाब किए जा रहे हो।
शून्य से शून्य की खोज की ओर जा रहे हो,
अरे रुक जाओ यही पे,
और सोचो कि क्या लिए जा रहे हो।
शून्य से शून्य की खोज की ओर जा रहे हो।

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30 SEP 2021 AT 21:11

मुझे यकीन है तेरे वापस आने के वादे पर,उम्र तलक साथ निभाने के वादे पर,
मगर तू देर करता बहुत है।
माना कि मेरे जख्म दिखते नहीं है,
मगर सच कहूं ये दुखते बहुत है।
माना कि मेरे आंसू दिखते नहीं है,
मगर सच कहूं ये चुभते बहुत है।
माना कि मेरे शब्दो में भावनाए दिखती नहीं है,
मगर सच कहूं प्यार बहुत है।
तू रूह है मेरी -2
और बिना रूह के आदमी तड़पता बहुत है।

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24 JUL 2021 AT 20:33

सांसे मेरी
नाम तेरा

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23 JUL 2021 AT 22:38

ऐ ख़ुदा,तुझसे आज कुछ शिकायत करनी है
यूं तो कई दफे ये कहना चाहा,
मगर कह न पाई, मना लिया हर बार खुद को,
पर अब बहुत हुआ -2
ये कैसा रिवाज तेरे शहर का,
क्यू हर शख्स को विदा होना पड़ता है?
क्यू तू किसी अजनबी से मिलाकर अपना बनाकर जुदा कर देता है?
क्यू तू हमें हमारे यार का उम्र तलक साथ नहीं बख्शता?
अगर यही अंजाम है तेरे शहर में मिलाने का,
तो बदल दे इसे अभी, इससे पहले कोई और यादों में मर जाए।
क्यू नही समझता,तूने भी तो इस पीड़ा को सहा है?
अगर तू इसे बदल नहीं सकता,
तो ये मिलाने का रिवाज ही बदल दे।
रहने दे हमें इस शहर में अकेला,
सहने दे अकेला होने का ग़म।
मगर विदाई का गम मत दे-2
अगर तुझे कभी कुछ देना हो,तो मेरे मुकदर में मेरे यार का उम्र तलक साथ लिखना।
अगर तुझे इस बार कुछ देना हो,तो मेरी फरियाद को मुक्कल करना-2

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23 JUL 2021 AT 22:05

तुम आये थे कई सपने लेकर,
जा रहे हो यादों का पिटारा लेकर।
तुम आए थे अकेले इस शहर में,
जा रहे हो रिश्तों का खजाना लेकर।
शुक्रिया हमें अपना बनाने का,सही राह दिखाने का,
शुक्रिया हमारे लिए सब कुछ करने का।
मुझे कुछ बयां करना नहीं आता,समझ जाओ ना,
तेरे साथ होने की खुशी और जाने का ग़म है।
मगर एक वादा करो रहो साथ उम्र तलक,
दूरी शहरों में होगी दिलो में नहीं।

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9 MAR 2021 AT 9:46

बहुत अजीब होती हैं ना पुरुषों की नाक जो हर बात में कट जाया करती हैं।
औरत को मार कर उसकी नाक और लम्बी हो जाया करती हैं,मगर औरत कुछ कह भी दे तो उसकी नाक कट जाया करती हैं।
बहुत अजीब होती हैं ना पुरुषों की नाक जो हर बात में कट जाया करती हैं।
औरत से पांव दबबाकर उसकी नाक और लम्बी हो जाया करती हैं, मगर औरत पायल पहनाने कह दे तो उसकी नाक कट जाया करती हैं।
बहुत अजीब होती हैं ना पुरुषों की नाक जो हर बात में कट जाया करती हैं।
औरत से दहेज लेकर उसकी नाक और लम्बी हो जाया करती हैं, मगर औरत कुछ मांग भी लेे तो उसकी नाक कट जाया करती हैं।
बहुत अजीब होती हैं ना पुरुषों की नाक जो हर बात में कट जाया करती हैं।
औरत को बेइज्जत कर उसकी नाक और लम्बी हो जाया करती हैं, मगर औरत से बेइज्जत होकर उसकी नाक कट जाया करती हैं।

- हर्षिता शुक्ला

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15 FEB 2021 AT 13:12

"औरत"
कौन कहता है कि मौत सिर्फ एक बार आती हैं, वो औरत है साहब,रोज थोड़ा थोड़ा मरती हैं।
कभी समाज के नाम पर,तो कभी घर की इज्जत के खातिर,वो रोज़ थोड़ा थोड़ा मरती हैं।
कभी सिंदूर के नाम पर, तो कभी जिगर के टुकड़े के खातिर,वो रोज़ थोड़ा थोड़ा मरती हैं।
अंत में तो बस उसका शरीर मरता हैं।

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4 DEC 2020 AT 22:30

ऐ जिंदगी,अभी कई लड़ाईयां बाकी हैं,
मै हारा नहीं,अभी मुझमें जान बाकी हैं।
ऐ जिंदगी,अभी कई सपने बाकी हैं,
मै हारा नहीं,अभी मुझमें हौंसला बाकी हैं।
ऐ जिंदगी,अभी कई अरमान बाकी हैं,
मै हारा नहीं,अभी मुझमें आश बाकी हैं।
ऐ जिंदगी,अभी आसमान में उड़ना बाकी हैं,
मै हारा नहीं,अभी मेरे पंख बाकी हैं।
ऐ जिंदगी,अभी कई लड़ाईयां बाकी हैं,
मै हारा नहीं,अभी मुझमें जीतने का जुनून बाकी हैं।
ऐ जिंदगी,अभी जीना बाकी हैं,
मै मरा नहीं,अभी मुझमें जीने की चाह बाकी हैं।

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30 NOV 2020 AT 22:04

हमसफर से यू मुंह नहीं मोड़ते।
जब सफर शुरू ही किया है,
तो पूरे किए बिना हाथ नहीं छोड़ते।

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