फ़क़त, ज़हर जिनके कानो में है,ऐसे वैसो की जगह पीक़दानो में हैज़रा सा हुनर, क्या बक्शा ख़ुदा ने, भाव ग़ुरूर का अब आसमानो में हैग़लीच बनी सोच, लिबासों में इस क़दर,क्या, आबरू लिबास की दुकानो में है ?जागीर नहीं ये मुल्क, किसी परिवार का,फिर क्यूँ सियासत, यहाँ खानदानो में है ?सकून मिल जाता, लोगों की मोहब्बत से,यूँ महफ़िल लूटने का ख़िताब,नादानो में है -
फ़क़त, ज़हर जिनके कानो में है,ऐसे वैसो की जगह पीक़दानो में हैज़रा सा हुनर, क्या बक्शा ख़ुदा ने, भाव ग़ुरूर का अब आसमानो में हैग़लीच बनी सोच, लिबासों में इस क़दर,क्या, आबरू लिबास की दुकानो में है ?जागीर नहीं ये मुल्क, किसी परिवार का,फिर क्यूँ सियासत, यहाँ खानदानो में है ?सकून मिल जाता, लोगों की मोहब्बत से,यूँ महफ़िल लूटने का ख़िताब,नादानो में है
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पलट दे रूख आँधी का दुआ माँ की,किनारा लगे कश्ती का दुआ माँ कीरोशन हो चिराग़ अंधेरे के दम पर, साथ बना रहे बाती का दुआ माँ कीलौटते नहीं फ़क़ीर हाथ ख़ाली जहाँ,वास ना हो कंगाली का दुआ माँ कीताउम्र सम्भाले गुलिस्ताँ गुलाबों के,ना निकले लहू माली का दुआ माँ कीना तेरी, ना मेरी, इबादत है सबकी,शब्द ना बने गाली का दुआ माँ की -
पलट दे रूख आँधी का दुआ माँ की,किनारा लगे कश्ती का दुआ माँ कीरोशन हो चिराग़ अंधेरे के दम पर, साथ बना रहे बाती का दुआ माँ कीलौटते नहीं फ़क़ीर हाथ ख़ाली जहाँ,वास ना हो कंगाली का दुआ माँ कीताउम्र सम्भाले गुलिस्ताँ गुलाबों के,ना निकले लहू माली का दुआ माँ कीना तेरी, ना मेरी, इबादत है सबकी,शब्द ना बने गाली का दुआ माँ की
माँ की परवरिश तेरे क़िस्से में रहती हैपूजा के लिए मोहब्बत परदे में रहती है बदल जाए ज़माना, तुझे फ़र्क़ नहीं पड़ता,सुना है, ये शराफ़त तेरे हिस्से में रहती हैयूँ तो लाखों तारे है,यहाँ रोशनी के लिए,पर तेरे जैसी चमक ध्रुव तारे में रहती हैरूह को सकूँ दे, ऐसे जज़्बात सुना दे,फ़क़ीरा तेरी आवाज़ ज़माने में रहती हैजब तुझे पढ़ती हूँ, क़बीरा याद आता है,ऐसी फ़क़ीरी ख़ुदा के दीवाने में रहती है -
माँ की परवरिश तेरे क़िस्से में रहती हैपूजा के लिए मोहब्बत परदे में रहती है बदल जाए ज़माना, तुझे फ़र्क़ नहीं पड़ता,सुना है, ये शराफ़त तेरे हिस्से में रहती हैयूँ तो लाखों तारे है,यहाँ रोशनी के लिए,पर तेरे जैसी चमक ध्रुव तारे में रहती हैरूह को सकूँ दे, ऐसे जज़्बात सुना दे,फ़क़ीरा तेरी आवाज़ ज़माने में रहती हैजब तुझे पढ़ती हूँ, क़बीरा याद आता है,ऐसी फ़क़ीरी ख़ुदा के दीवाने में रहती है
चंद्र बिंदु “माँ” का ज़रा “सास” में लगा दीजिए,वृद्धाश्रमो का “साँस” लेना मुश्किल हो जाएगा -
चंद्र बिंदु “माँ” का ज़रा “सास” में लगा दीजिए,वृद्धाश्रमो का “साँस” लेना मुश्किल हो जाएगा
“अन्दाज़ ए बयाँ” मेरा तल्खियत भरा है,छोड़ो यारों, खामखां तबियत ख़फ़ा है ..... -
“अन्दाज़ ए बयाँ” मेरा तल्खियत भरा है,छोड़ो यारों, खामखां तबियत ख़फ़ा है .....
इन कलियों के लिए ढाल होना था,गुनाहगारो के लिए काल होना थाकट रही है ज़िंदगी फक्काशी में,उसे जलाने के लिए माल होना थामिटायी भूख, मेरी तो रोटियों ने,फिर क्यूँ चाँदी का थाल होना थातुझे चाँद का महबूब होना था,मुझे मेरी माँ का लाल होना थाउलझ गए रिश्ते सीधी राह में,मुझे मकड़ का जाल होना थाखाते ही उगल दे अच्छे अच्छे,मुझे निवाले का बाल होना था -
इन कलियों के लिए ढाल होना था,गुनाहगारो के लिए काल होना थाकट रही है ज़िंदगी फक्काशी में,उसे जलाने के लिए माल होना थामिटायी भूख, मेरी तो रोटियों ने,फिर क्यूँ चाँदी का थाल होना थातुझे चाँद का महबूब होना था,मुझे मेरी माँ का लाल होना थाउलझ गए रिश्ते सीधी राह में,मुझे मकड़ का जाल होना थाखाते ही उगल दे अच्छे अच्छे,मुझे निवाले का बाल होना था
आसान नहीं पहाड़ों सा,ऊँचा उठकर अर्श को चूमना,हुनर मिट्टी को मिट्टी से लिपटे रहने का आता नहीं.... -
आसान नहीं पहाड़ों सा,ऊँचा उठकर अर्श को चूमना,हुनर मिट्टी को मिट्टी से लिपटे रहने का आता नहीं....
तू नेक़ी भी दरिया में डाल कर रखता है,तो क्यूँ मेरा इश्क़ इस्तेमाल कर रखता हैकोशिश करती हूँ मैं, बात करने की उससे,पर वह तो ग़लतफ़हमी पाल कर रखता है,गँवाने को बैठे है ,अपनी सल्तनत हम तो,फिर क्यूँ हर प्यादा संभाल कर रखता है,कहता है अब परवाह नहीं है मुझे तेरी,फ़िक्र भरी आवाज़ में कमाल कर रखता है,सुना है जला दी है तमाम निशानियाँ मेरी,फिर क्यूँ मेरी “राख” संभाल कर रखता है -
तू नेक़ी भी दरिया में डाल कर रखता है,तो क्यूँ मेरा इश्क़ इस्तेमाल कर रखता हैकोशिश करती हूँ मैं, बात करने की उससे,पर वह तो ग़लतफ़हमी पाल कर रखता है,गँवाने को बैठे है ,अपनी सल्तनत हम तो,फिर क्यूँ हर प्यादा संभाल कर रखता है,कहता है अब परवाह नहीं है मुझे तेरी,फ़िक्र भरी आवाज़ में कमाल कर रखता है,सुना है जला दी है तमाम निशानियाँ मेरी,फिर क्यूँ मेरी “राख” संभाल कर रखता है
Saurabharshita -
Saurabharshita