Harshita Dubey  
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Joined 3 January 2024


Joined 3 January 2024
24 MAR AT 22:24

फिर कलम चलाई जाए क्या
फिर लिखा जाए क्या गीत कोई
फिर परिवर्तन की डोर पकड़
ठुकराई जाए क्या रीत कोई
फिर किया जाए क्या द्वंदव कोई
फिर कसा जाए क्या व्यंग कोई
क्या तोड़ी जाएं जंजीरे
क्या छुआ जाए गंतव्य कोई
क्या चला जाए अपने पथ पर
ठुकराया जाए तथ्य कोई
जाया जाए क्या व्योम तलक
फांदी जाए क्या भीत कोई
फिर कलम चलाई जाए क्या
फिर लिखा जाए क्या गीत कोई?

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9 MAR AT 18:35

जब लिखूँ तुम्हे, तो प्रेम लिखूँ,
जो लिखूँ प्रेम, तो गीत लिखूँ
जब गीत लिखूँ तो बोलों में,
मैं तुमको अपना मीत लिखूँ
जब मीत तुम्हे लिख पाऊँ मैं,
तो इसे प्रेम की जीत लिखूँ,
जो जीत है सच, तो इसको फिर
मैं शिव शक्ति सी प्रीत लिखूँ
प्रेम की मेरे जीत
शिव शक्ति सी प्रीत
मेरे सारे बोल, सारे गीत
जो हैं तुमसे मन मीत
मैं लिखूँ तुम्हे, सप्रेम लिखूँ
जब लिखूँ तुम्हे, तो प्रेम लिखूँ
जब लिखूँ तुम्हे तो प्रेम लिखूँ..

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25 FEB AT 21:12

मुझमे सूरज सा तेज भी है
है चंद्र की शीतलता मुझमे
मुझमे ठहराव है पर्वत सा
सरिता सी चंचलता मुझमे
है सूझ बूझ, चातुर्य सभी,
कटुता है, निर्मलता मुझमे
प्रेम, द्वेष, अपनापन, बैर
जटिलता, सरलता मुझमे
मैं हूँ जीवित, ये साक्ष्य मेरा
हर रूप सजा मिलता मुझमे

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16 FEB AT 23:50

फूलों की सेजें पाने को,
काँटों पर चलना बनता हैl
लोहे सा तपना बनता है,
सूरज सा जलना बनता हैll

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