ये जो एक इंसान के वक्त का रिश्ता,
दूसरे इंसान के वक्त के साथ है,
बडा ही अलग है,
चाहते दोनो मिलना है,
पर वक्त ना दोनो के पास है,
कोशिश एक ने करी है मिलने की,
पर दूसरे के पास वक्त कहाँ है,
तो सोच लिया पहले ने भी,
कि दुसरे ने भी मिलना ही कहां चाह है,
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रिश्ते टूटे वक्त की वजह से,
पर इल्जाम दूसरो पर ही रहा है,
कुछ जिम्मेदारियां आ गई है सर पर,
तो अब वक्त ही कहाँ है,
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वो जो पहले साथ रहा करते थे हम,
तब हमने आज का सोचा ही कहाँ था,
तब तो बेझिझक निकल पड़ते थे घर से हम,
पर अब वो बात कहाँ है,
जिम्मेदारियां आ गई है सर पर,
तो अब वक्त ही कहाँ है।
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