The most common cause of all the
anxieties, anguishes and sorrows
in human life is to control
the factors which are
beyond control.
-Harshit-
रंज तो बहुत हुआ मगर मलाल हमेशा नहीं किया मैंने
शिकवा तो ख़ैर बना रहा मगर तमाशा नहीं किया मैंने
गिरेबाँ पकड़कर आईना दिखाने से हासिल क्या होता
इल्ज़ामात पे ख़ामोश रहा मगर रुसवा नहीं किया मैंने
-हर्षित-
देखो जानां सही वक़्त पे ना कहना बहुत ज़रूरी है,
बेमन से यूँ हाँ कहते हो ऐसी भी क्या मजबूरी है!
मुनाफ़िक़त से ताल्लुक राएगाँ करने का क्या फ़ायदा,
जिस्मानी नज़दीकियाँ हैं औ दिल से दिल की दूरी है!
-हर्षित-
'हिंदी' हमारे लिये मात्र भाषा नहीं है,
अपितु 'हिंदी' हमारी मातृ भाषा है!!-
भाई...तू दिलदार बहुत है...;
मुझको तुझसे प्यार बहुत है!
उसको तू फौज़ें लाने दे...;
संग तेरे ये यार बहुत है..!!
कोई असलहा क्यूं रक्खूं मैं;
मेरा तू हथियार बहुत है...!!
तेरी मुश्क़िल... बस मेरी हों...;
तुझपे ये अधिकार बहुत है..!!
-हर्षित यादव
(Read complete poetry in Caption)-
मेरा किरदार कहानी में महज़ इतना है... :-
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सब खोके जो बचता है... कोई उतना लेकर आता है...;
उतने पे भी लुटता है.. आखें भरता है... चला जाता है...!!-
कुछ-कुछ पूरे... तो कुछ-कुछ फिर भी आधे हैं...;
'कान्हा' के दिल में भी अब तक केवल "राधे" है..!!-
एक तरफ़ थे "वादे" ऐसे.. जो बारहा बस गा-गा के हमको सुनाये गये...;
एक तरफ़ थे हम... जो बिन कहे ही सब कुछ.. निभाये गये...!!-
शराफतों का फायदा ये दुनिया... कुछ यूं उठाती है...;
चुभाती है सीने में नश्तर.. और फिर सब्र आज़माती है...!!-