14 JUN 2017 AT 3:03

राज जाहिर न होने दो तो एक बात कहूँ,
अंतर्मन की गहराइयों में दबे भाव बड़े सहमे हैं।
राज को राज ही रहने दो तो एक बात कहूँ,
वक्त की सिलवटों में छिपे राज बड़े गहरे हैं।

- हर्षित "नमन"