Harshit Mandloi  
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रसायन अभियन्ता
शांत, पर दिल से नही
अलग मिजाज
1998 का मॉडल
महाकाल की नगरी - उज्जैन
Joined 21 November 2018


रसायन अभियन्ता
शांत, पर दिल से नही
अलग मिजाज
1998 का मॉडल
महाकाल की नगरी - उज्जैन
Joined 21 November 2018
1 MAY 2020 AT 22:52

अफ़सानों का समा लेके आया था,
बनाने को हक़ीक़त।
हक़ीक़त में ,
अफ़सानो का जनाजा निकाल दिया।

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1 MAY 2020 AT 19:03

बातें कम सी होने लगी है,
शायद नूर खत्म होने को है अपना ।
कुदरत भी अपनी शब पर आने लगी है,
शायद अभिमान खत्म होने को है सबका ।

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14 DEC 2019 AT 21:55

समय की पाबंदी में बंधना चाहता,
हौसलों को उड़ाना चाहता ।
अपने आप को खुद से बचाना चाहता ,
अपने कर्मो न बिगाड़ना चाहता ।
चाहता मै सब कुछ हासिल करना ,
हासिल आलस्य न करना चाहता ।
सुविधाओं की छांव में ,
सारी सुविधाएं पाना चाहता।

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29 NOV 2019 AT 20:28

फासले तुमने ले लिए है ,
फैसला लेना अभी बाकी है।
रुको,
अभी से ना घबराओ,
बदला लेना अभी बाकी है।

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28 NOV 2019 AT 19:47

मासूमियत हाय !

क्या तारीफ करू मै,
इस काबिल बनाया ही नही मुझे।
हाँ खुशनसीब तो ज़रूर हूँ,
जो उस मासूमियत का हक़दार बनाया मुझे।

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28 NOV 2019 AT 19:38

जीवन का अर्थ समझ आने लगा है।
कुछ अपने वजूद का अहसास ,
आज तुम्हारे आने से लगा है ।
यू तो खुश रहते थे हम मगर ,
अब खुशी का नाम समझ में आने लगा है।

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28 NOV 2019 AT 18:48

अल्फ़ाज़ नही अब बयां करने को मेरे दर्द,
ऐ ज़िन्दगी तेरे खाली पन्नो से लगता अब डर।
हलक पर अटकी मेरी जान ,
मेजबान भी कहता है मत जी तू अब मर।

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14 FEB 2019 AT 15:58

Humhara mobile he chhota aur upr se chl rahi exam,
Ak usi ne bacha ke rakha h sabhi moh maya se,
Varna hum bhi dene chle the pochinki me apni jaan .

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6 FEB 2019 AT 10:27

Nothing can substitute hardwork
But in India, Fate does.

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19 JAN 2019 AT 9:54

हम खाने के लिए जीते है ,
और
तुम जीने के लिए खाते हो ।

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