शब्दों से दूसरों को समझना ये तो आसान बात हो गई, कोई खुद को कभी भी ना समझा पाए सारी जिंदगी गुजर गई।
सब एक दूसरे को समझाने में लगे हैं, तमाम सुविचार उनके सोशल मीडिया, स्टेटस पर सजे हैं।
मगर खुद को जिंदगी भर न समझा पाए हैं, जब असलियत पता लगी दूसरों को उनकी तो लगा कि अच्छे लोग सजा पाए हैं।
एक ही लाइन में खड़ा कर दिया है इन बनावटी लोगों ने, अच्छे लोगों पर भी विश्वास नहीं कर पा रहा हूं आज के जमाने में।
- हर्षित कुमार-
मां बहोत,,,, अच्छी होती है,मां उन्हीं को बुरी लगती है,
जिसको उसकी, अच्छी बातें कड़वी लगती हैं।-
पता नहीं,मात्र इक खुद को,खुश रखने को, औरों को क्यूं,जीते जी मार देते हैं लोग।
हे भगवान उन इच्छाओं को मार कर जीना क्यूं नहीं सीखते हैं लोग, उनकी जिन इच्छाओं से परेशान होते हों मां-बाप और अन्य लोग।
दुआ करता हूं उनको सद्बुद्धि प्रदान करें भगवान, जो औरों को परेशान करके, जीना चाहते हैं जो भी लोग।
- हर्षित कुमार-
हे प्रभु चाहें 30-7=23 बचें लेकिन मित्र अच्छें हो। 🙏 - हर्षित कुमार
सभी को आज 30-7-23 को मित्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।-
उनकी सारी चालाकियां समझते हैं, हम
वो अपने हैं उनका अपमान नहीं चाहते हैं, हम
बस इसीलिए चुप हैं,उनसे कुछ नहीं कहते हैं, हम-
वक्त के साथ तालमेल था, मेरा जैसा,
'सो' वैसे ही हम बन गए, कुछ खास नहीं।
तुम्हारा तो वक्त के साथ, तालमेल अच्छा है,
तुम तो कुछ खास बन जाओ, तुम कुछ समझते क्यूं नहीं।
- हर्षित कुमार
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क्या आज तुम मुझसे, इक वादा करोगे...
मेरी सांसें रहने तक, क्या तुम मेरे दोस्त रहोगे...
- हर्षित कुमार (हक)
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मनुष्य के व्यवहार से भी, वातावरण स्वच्छ या दूषित होता है।
- हर्षित कुमार
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