ज़िंदगी की कश्मकश भी बड़ी अजीब है, पैसा ही इंसान का अब तो ईमान धरम है। अपनों से दिलो का लगाव कभी हुआ करता था , अब तो दिखावा ही ज़िंदंगी की नयी राह हो गई है।।
अज्ञात से सवाल का, अज्ञात सा जवाब है.. अज्ञात सी मेरी नींद में, अज्ञात सा इक ख़्वाब है.. अज्ञात से महासागर में, अज्ञात सा ही आब है.. मेरी हैसियत कुछ भी नहीं, कोई अज्ञात ही लाजवाब है….