Harshit Agarwal   (हर्षित अग्रवाल)
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मुशाफीर राह का मंजिल की तलाश में ..
Joined 21 March 2018


मुशाफीर राह का मंजिल की तलाश में ..
Joined 21 March 2018
21 OCT 2024 AT 16:35

हार, मृत्यु, अकेलापन , दुःख...
यह शब्द ही साथी थे,
पर जब से नींद खुली है,
वो सूरज की किरण की चाह लगी है,
बस अब उसे पाना है,
उसके लिए कुछ भी कर जाना है,
जलना पड़ा तो जल जाएंगे,
पर इस बार जीत कर आयेगे,
कोई कुछ भी बोले हमे क्या,
जब ठान ही लिया है
तो करके दिखायेंगे ।

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17 MAY 2024 AT 9:26

नटखट सी, न्यारी सी,
सबकी बड़ी दुलारी सी,

दादी का आशीर्वाद है,
ज़िन्दगी का अजीब संवाद है

दादा की गुंडी है,
गोल गोल इसकी मुंडी है,

मम्मी-पापा की जान है,
इस पर सारी खुशियाँ कुर्बान है,

चाचा-चाची का खिलोना है,
इसको पूरे दिन सोना है,

बोलने और चलने में आलस दिखाती है,
फिर भी पूरे परिवार को उंगलियों पर नाचती है,

खड़े बाल, गोल चेहरा, बडी आँखे रूप की रानी है,
कुछ भी एक साल में इसने कई बनाई कहानी है,

पूरे घर मे इसका हंगामा है,
इसका चिल्लाना भी सुर और नग्मा है,

ऐसे तो "आशवी" यह कहलाती है,
पर प्यार से "पादु" भी बन जाती है ।।

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9 MAY 2024 AT 16:48

बाते शब्दो से होती है,
मुलाकाते लफ्ज़ो से होती है,

वक्त-बेवक्त का मुझरा है,
कब समय हिसाब से गुजरा है,

रंगीन रातो में संगीन बाते है,
दिलफेंक बातो पर दिल लुटाते है,

अश्को में बसी दिल की कहानी है,
दिल के असमंझस में ढलती जवानी है,

कब-कहाँ-कैसे सब सवाल है,
पर जब-जहाँ-जैसे होता इश्क़ का बवाल है,

कत्ल करती मेरी जवानी है,
आँखों मे खोट है या गिर चुकी मेरी बेइमानी है,

जो बीत गया उसके लिए कौन रोता है,
बेमतलब की आशिक़ी के लिए कौन खोता है,

इश्क़ का इंतजार अब करता है,
जो हो गया उससे अब कौन डरता है,

सब कुछ हो जाने के बाद सिर्फ शाम है,
इश्क़ में तवायफ सी ज़िन्दगी बिन कपड़ो के नीलाम है।।

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4 APR 2024 AT 20:03

आजादी बड़ी प्यारी है,
नेता की बड़ी इससे यारी है,
आजदी का डर दिखता,
जो बचा उसे भी ले जाता,
अब तो चुनाव आया है,
नेता आजादी की मीठी गोली लाया है,
हरी, नारंगी, सफेद कई रंगों में आती है,
मीठी-मीठी गोली जनता को बहुत भाती है,
मीठी है गोली डियाबिटी करवाएगी,
चुनाव तो हो जाने दो यही गोली देखो कैसे डॉक्टरों(नेताओ) के चक्कर लगवाएगी ।

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21 DEC 2023 AT 21:30

सब के किस्से है चार,
एक-आधा छोड़ बाकी सब तन के व्यपार,
कोई न समझे असली प्रीत को,
सबको चढ़ा है हवस का बुखार,
खुदको कृष्ण और राधे बताते,
पर राधा जैसी साधना और कृष्ण जैसा प्रेंम तो नही ला पाते,

आँख मुंद कर खड़ा में सोचता अपने एक तरफ़ा प्रेम के भार को लिए की ना मुझे कृष्ण बनना ना मुझे राधा,
कोई गलत नही है मेरा इरदा,
सच कहूं तो उसे भी प्रेम हो किसी से भी बस ना मिले उसे प्रेम कभी आधा ।

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18 NOV 2023 AT 10:03

वो समुंद्र के किनारे रहता था,
और कहता था शहर में बहुत शोर है ।।

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11 NOV 2023 AT 19:46

साल भर जिस छत से एक भी बॉल नहीं आयी उन सबको दीवाली पर आते देखा है,
जिस घर चुला साल भर ना चला हो वहां दीवाली पर हलवा बनते देखा है,
माँ-बाप से कोसो दूर बैठे बच्चे से लेकर आदमी को दीवाली पैर रोते देखा है,
जिसको साल भर नसीब की एक रोटी भी न मिली उनको दीवाली पर फ़ूड पैकेट देने वाले के साथ तस्वीर लेते देखा है,
दीवाली पर तो कंजूस बुढिया को बच्चो को मिठाई और दिए बाटते देखा है,
उम्र कम है फिर भी शायद दीवाली को करीब से देखा है,

आप सभी को दीवाली की हार्दिक शुभकामनाएं

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5 NOV 2023 AT 20:51

रात गुजर गई सितारे के इंतजार में,
एक आसमा में और एक जमीं पर ।।

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4 NOV 2023 AT 20:52

काश मौत नींद में सोते हुए ही आ जाएं,
वरना मौत के बाद भी मलाल रह जायेग की एक और काम शुरू किया पर खत्म न कर सके।।

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27 OCT 2023 AT 19:22

बदतमीज़ हो गया हूँ,
शायद लापरवाह भी,
चीजे और दिन भूल जाता हूँ कभी कभी,
आँखों की रोशनी कम होने लगी है,
कान में सिर्फ प्रियतमा की चिक-चिक भरी मधुर आवाज़ सुनाई देती है,
अकेला हो गया हूं और थोड़ी उम्र पा ली है,
पर बुढ़ा नही हूं, अभी बहुत यादे हैं तुम्हारी उस पर किताब लिखने का सोचा है,
बस यादे ही है, तुम नही,
शायद यही कारण से थोड़ा बदल गया हूं।

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