HER EYES
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In her eyes, I saw what a thousand future holds.
In her eyes, I saw how the past unfolds.
In her eyes, my day calls for joy.
In her eyes, I look like a baby boy.
In her eyes, the moon shines bright.
In her eyes, the dark follows light.
In her eyes, even the oceans make their wishes.
In her eyes, life is full of sourly blisses.
In her eyes, lies the desire for love.
In her eyes, cries the wait for her belove.
In her eyes, I see two luminous stars.
In her eyes, I see ambiguous scars.
In her eyes, the head is held high.
In her eyes, the success is nigh.
In her eyes, the glimpse of beauty lies.
In her eyes, the truths shower from skies.
In her eyes, the world fits in.
In her eyes, the world sits grin.
Her eyes are special to her world.
Her eyes are something to be pearled.-
Just experiencing the writin... read more
कौन है तू?
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देख एक बात पूछूं बुरा मानेगा क्या,
कुछ है नहीं फिर भी सब कुछ तू ही है क्या?
देख खुद का व्यापार चुप चाप खड़ा है क्यों,
किसी के लिए तू हर तरफ़ तो किसी के वजूद के लिए लड़ा है क्यों?
अमीर और फ़कीर के बीच का समा है तू,
इस ज़ालिम दुनिया के मर्ज़ का दवा है तू।
खट्टी मीठी पलों के पहर का लम्हा है तू,
कोई बात है या बातों का हवा है तू।।
किसी के लिए किस्मत तू,
तो किसी के लिए बदकिस्मती का चेहरा है तू।
किसी के लिए सजा भी तू और माफ़ भी तू,
तो किसी के लिए बंद आंखों सा इंसाफ़ भी तू।।
पुण्य भी तू है पाप भी तू,
करता धरता भी तू है किसी का श्राप भी तू।
नफ़रत भी तू है प्यार भी तू,
आफ़त भी तू है मुकद्दर का व्यापार भी तू।
तेरी वजह से मरे फ़कीर क्यों,
तू लिखता यहाँ सबका नसीब क्यों?
तुझे देख दिखे तहज़ीब क्यों,
तू इस जहान में सबसे ज़रूरी चीज़ क्यों?
दर्द भी तू, खुशहाल जीवन का नाम भी तू।
तू ही है सब कुछ या सब कुछ के नाम का जाम है तू।
बता आखिर पैसा है, खुदा है या है कोई इंसान तू?
इच्छा है, ख्वाब है या है किसी के मेहनत का मचान तू?
बता न कौन है तू?-
सपनों की दुनिया में खोता चला गया।
बदलते समा को देख,
खुद बदलता चला गया।
ढलते शाम को देख,
खुद ढलता चला गया।।
जो मिला उसे सब कुछ मान लिया,
जो खोया उसे भूलता चला गया।
ज़िंदगी के त्योहार का शोक मनाते मनाते,
यादों की बारात का जश्न मनाता चला गया।
दुखी का फ़र्क समझ आ ही रहा था,
कि खुशियों की राह पर चलता चला गया।
ख्वाइशों को सच मानते मानते,
इच्छाओं को मारता चला गया।
ज़िंदगी देखना शुरू किया ही था,
सपनों की दुनिया में खोता चला गया।-
The roads not taken, are now frequently taken.
So, my thoughts were awaken,
In search of the roads still not taken.
I went on miles and miles,
Looking at people with frowns and smiles.
It was not that easy as it seemed,
The roads taken all screamed.
It was difficult to understand,
How the roads scanned?
Some roads were happy and some sad,
But all were occupied, just my bad.
The options were reduced,
And all the roads taken were introduced.
Unable to find the not taken road,
My fatigue for search was ready to explode.
Till I got lost at a spot with no road or track,
A strong pat came hitting my back.
The moment was quiet and budden,
I turned around in panick and was sudden.
It was my brother's heavy hand,
Waking me up, making my hallucination banned.
But I found many roads still not taken but will be taken shortly.
Remember, the early bird gets the worm. 😊-
इन्सानियत की किरणें लुप्त कहाँ हैं,
साया तो है इंसान का मगर इंसान कहाँ हैं?
शेष है तो बस पृथ्वी पर इंसानों की भीड़ जहाँ हम सब खो गए,
क्योंकि इंसानियत को मरे हुए तो ज़माने हो गए।-
यह जो आप ध्यान से ध्यान लगा रहे हो,
ध्यान ही लगा रहे हो या ध्यान कहीं और लगा बैठे हो।
क्योंकि जिस ध्यान को आप इतनी अहमियत से गिराहे बैठे हो,
आपस में ही एक युद्ध छिड़ाए बैठे हो।
ज़रा अपने तसव्वुर पे विराम बैठाओ,
जितने तकलीफ़ में आप अपने तशरीफ़ पे विराजमान बैठे हो।
अल्फाजों के जुगलबंदी में गुम हो कहीं,
नासमझ हो या जान कर अनजान बैठे हो।
जितने साक़ित आप हो उतना ही मैं भी,
मगर आप तो कहीं और ही भटकने का इंतज़ाम कर बैठे हो।
इन उलझनों को छोड़ अपने ध्यान को आगे का इज़ाफ़ा दो,
ना जाने क्यों आप ऐसे मुह लटकाए बैठे हो।
माना अल्फाजों का आलम ही कुछ और है,
मगर आप तो अपना संसार ही भुलाए बैठे हो।
अभी तोह बस मेरी कुछ बातों में ही आप कश्मकश हो गए,
उन जज़्बातों का क्या जो अपने सीने में दबाए बैठे हो।
थोड़ा अपनी शक्ल देखो और अगल बगल देखो,
उदास तो ऐसे हो ना जाने कबसे ज़बरदस्ती बैठाए बैठे हो।
यह जो आप एक नज़र से मुझे देखे जा रहे हो,
देख ही रहे हो या नज़र लगाए बैठे हो। 😂-
दिन हो या रात, बदलता मौसम हो या साल,
समुद्र किसे बताए अपना यह हाल।
लहरें मानो कुछ कहना चाहती हों,
चीखते, चिल्लाते कुछ बताना चाहती हों।
हम मज़े में लहरों का लुत्फ उठाते,
उनकी बातों को खड़े पत्थर सा ठुकराते।
वह तो इस आस में दौड़े दौड़े हमारे पास आते,
कोई तो उनकी तकलीफ़ समझ पाते।
दिन ही नहीं रातों को भी वो दौड़ लगाते,
और तेज़, और खूंखार हो जाते,
मगर इंसान तो अपने ही दुखों में गुम है,
उसे कहाँ ही कुछ बतला पाते।
कोई तो व्यथा इनकी भी सुन लें,
बातों से नहीं तो कम से कम आंखों से ही देख लें।
मगर यह हक़ किसनें दिया आपको,
कि आप उनके जज़्बातों से ही खेल लें।
लहरें कुछ बोल नहीं सकतीं तो उनपे अत्याचार करना सही है क्या?
अगर अत्याचार करना सही नहीं, तो उन्हें गंदा करना सही है क्या?
जितना लुत्फ़ आप उठाते हो, उतना ही उसे भी उठाने दो।
रहम करो, जियो और जीने दो।-
वक्त ने भी क्या खेल खेला है।
थोड़ा सहते सहते बहुत कुछ झेला है।।
😔
-
यह जो तुम दिल के बहुत साफ़ हो न...
देख लेना...
एक दिन किसी दिमाग वाले से हार जाओगे।
😊-