28 APR 2019 AT 8:55

मनसा चिन्तितं कर्म वचसा न प्रकाशयेत् ।
अन्यलक्षितकार्यस्य यत: सिद्धिर्न जायते ॥
-चाणक्यनीतिः

मन में की हुई कार्य की योजना दुसरों को न बताये ।दूसरों को उसकी जानकारी होने से कार्य सफल नही होता ।

- हर्षलः