नाहारवेलातिक्रमणीया ।।
- वैद्यकीयसुभाषितसाहित्यम् (कादम्बरी)
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The daily meal time shouldn't be transgressed.-
दुःखेष्वनुद्विग्नमनाः सुखेषु विगतस्पृहः । वीतरागभयक्रोधः स्थितधीर्मुनिरुच्यते ॥
दुःखोंमें जिसका मन उद्विग्न नहीं होता, सुखोंमें जो निःस्पृह है तथा जिनके राग, भय और क्रोध नष्ट हो गये हैं, ऐसे स्थिरबुद्धि व्यक्ति को मुनि कहा गया है ।
-भगवद्गीता २.५६-
પાનખરમાં ને વસંતમાં ફેર શું એ જાણવા,
તમને અડકીને પછી ખુદને અડયો છું હું મને...!!!
- ખલીલ ધનતેજવી-
श्रेष्ठतायाश्च सुप्राप्तिः
अन्तहीना च सर्वथा ।
तथापि बहुयत्नेन
लब्धिः तस्यापि दृश्यते ।।
The pursuit of excellence is endless,
though it can be achieved by
repeated efforts.
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यथा सिंहो गजो व्याघ्रो
भवेद्वश्यः शनैः शनैः।
तथैव सेवितो वायुः
अन्यथा हन्ति साधकम् ।।
- हठप्रदीपिका
जैसे सिंह, बाघ, हाथी जैसे विशालकाय एवं शक्तिशाली प्राणी धीरे-धीरे ही वश में किया जा सकता है वैसे ही योग का अभ्यास करनेवाले साधकों को प्राणायाम के द्वारा प्राण को धीरे-धीरे वश में करना चाहिए। प्राण को वश करने में जल्दबाजी करने से साधक की मृत्यु भी हो सकती है।-
મોકલી હતી એક વાદલડી એણે
સંદેશારૂપે યક્ષના જેમ
પહોંચતા સુધીમાં તો બની સ્નેહનું વાદળ
એ ચોધાર વરસી ગયો
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पातु नो निकषग्रावा मतिहेम्न: सरस्वती । प्राज्ञेतरपरिच्छेदं वचसैव करोति या ॥
बुद्धिरूपी स्वर्ण के लिये कसौटी के समान विद्यादेवी सरस्वती, जो केवल मनुष्यों की वाणी से ही वे मूर्ख है कि विद्वान् इनकी परीक्षा कर लेती है, वह सदैव हमारा पालन करे।
।। सरस्वतीपूजनस्य वसन्तोत्सवस्य
च शुभकामनाः।।-
चरन् वै मधु विन्दति,
चरन् स्वादुमुदुम्बरम्।
ऐ. ब्रा. ७.१५
The one who travels enjoys the nectar. The same enjoy sweet fruits.-
जम्बीरमधुसंयुक्तं शीतोष्णं निर्मलं जलम् ।
स्थूलदेहत्वनाशाय कुरु नित्योपसेवनम् ।।
पीत्वा ब्राह्ममुहूर्ते यः योगाभ्यासं करिष्यति ।
मुच्यते सर्वरोगात्तु वज्रकायो भविष्यति ।।
निम्बू एवं शहदमिश्रित शीतोष्ण पेय के नित्य सेवन से शरीर का मोटापा कम होता है । जो ब्राह्ममुहूर्त में इस पेय का सेवन कर व्यायाम करता है, उनका शरीर सभी रोगों से मुक्त होकर वज्र जैसा तंदुरुस्त होता है।-
A prayer without a deed
is an arrow without a bowstring;
A deed without a prayer
is a bowstring without an arrow.
- Ella Wheeler Wilcox
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