4 APR 2019 AT 19:33

क्षणे रुष्टा: क्षणे तुष्टा:
रुष्टा तुष्टा क्षणे-क्षणे।
अव्यवस्थित चित्तानाम्
प्रसादोऽपि भयंकर:।।

क्षण-क्षण में रुष्ट और तुष्ट होने वालों की प्रसन्नता भी अति भयंकर होती है.!

- हर्षलः