मला शरण आल्याशिवाय तुला गत्यंतर नाही
तू मात्र तुझा अहम मागे सोडून ये..
डोळ्याच्या पापणीत तुला जपून ठेवीन,
तू फक्त माझ्यासाठी माझा होऊन ये..-
गोष्टी आपल्या माणसापर्यंत आल्या की
चार लोकांचा विचार करायचा नसतो...-
हळुवार फुंकर घालणारा,
तुझा श्वास पुरेसा आहे..
काळजात खोल रुतणारा,
तुझा भास पुरेसा आहे..-
मैं बैरन अँधेरी रात काली,
तू सूरज की धीमी रौशनी पिया।
मैं दर दर भटकी इस वीरान जगत में,
तेरी साँसों में पाया बसेरा पिया।
तन्हा जागी नींद मेरी,
भीगे भीगे नैन पिया।
मैं तरस-तरस अश्क़ हुयी,
हैं मरहम तेरा इश्क़ पिया।
मैं रेत सूखी सूखी,
तू बरखा की पहली बूँद पिया।
मैं ढूंढती रही शीशे में ख़ुदको,
तेरी नजरों ने मुझे पहचान लिया।
भूली बिसरी मैं रीत सारी,
ना सितारों ने मोह लिया,
हैं याद तू, मैं सबकुछ पायी,
तेरी सूरत मेरा चाँद पिया।
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माना के कुछ हादसे भूले नहीं जाते।
मगर उन्हें बार बार याद करना,
ज़रूरी हैं क्या।-
बरसते इन लफ़्ज़ों में,
बूँद बूँद समाये हो।
हम अश्क़ लेकर आये थे,
तुम इश्क़ लेकर आये हो।-
उस ठंडे चाँद को तकनेवाला
मेहरूम इश्क़ हमे मालूम नहीं।
किसी की याद में जलनेवाले
इश्क़ से वाकिफ़ हैं हम।
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Once I chose not to sleep much,
To wake up with the sunrise ,
And have another sunset with you..
Now I sleep much,
Waiting for long nights,
Just to see you in my dreams again ..
To meet you, in my dreams again ..-
तेरी मासूम सी मुस्कान में,
इक मुस्कराहट मेरे ही नाम की होगी।
जो ख़लिश रह गयी मेरी लकीरों में,
वो लक़ीर तेरे ही नाम की होगी।-