Mohobbat me is kadar ruswai hui
Jise chahte the usi se bewafai mili
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जब मैं न रहूँ
तुम ढूंढना मेरे प्रेम को
मेरी कविताओं में
हर शब्द हर वर्ण हर छंद
में सिर्फ तुम्हीं मिलोगे
ढूंढना हमारे प्रेम को
मेरे लिखे गए हर मिलन के शब्द में
हर विरह में ढूंढना हमारी जुदाई को
अगर हो जुस्तजू करने की अधूरी ख्वाहिश पूरी मेरी
तो पूरी करना मेरी हर अधूरी कविता को अपने प्रेम से
अगर हो तमन्ना मुझे छूने की तो स्पर्श करना
मेरे द्वारा लिखे गए अपने नाम को
अगर ढूंढना हो मेरी आखरी खुशबू को तो महसूस करना
मेरे द्वारा लिखी हर कविता को तुम अपने हृदय में ।।
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हम चाँद से मोहब्बत करते हैं
पर रात के कालिख से नफरत ।
हम क्यों भूल जाते हैं
बिना अंधेरे के रौशनी का कोई वजूद नहीं ।
जैसे दुःख के बिना
सुख की कोई अनुभूति नहीं।-
जिसके इंतजार में हम पूरे दिन राह ताके बैठे थे
वो शाम को किसी और के लिए झुमके लेकर आया था ।।-
कुछ इस कदर रूठी है मुझसे मेरी किस्मत
की अब ख्वाब में भी तुम नहीं आते।।-
My world is much warmer place
bcoz your love shins upon me all day and night .
The day I met you
was the happiest day of my life .
You have been wonderful for me .
Every day with you is special but today is extra special
because it's ur birthday my sweetheart .
Many many happy returns of the day
my Almost Perfect person 💓
With my all adore and kisses..
Jaan... If raindrops were kisses ..I could send u showers .
With years I'll love u more Babbu.. 😍
I admit it - it's little difficult to choose a way to wish u ..
I may not be able to give u a gift due to the distance..
but I can give you all the love you deserve ...
Happy Birthday love 🎂-
कुछ इस कदर हम मजबूर हो गए
साथ रहते हुए भी दूर हो गए
जो कहते थे निभाएंगे
आखिरी वक्त तक साथ
आज वही हमें छोड़
अपनी दुनिया में मशगूल हो गए।।-
प्रेम में हर पुरूष बन जाता है
स्त्री की तरह करुण ।
प्रेम खोने के बाद हर स्त्री बन जाती है
पुरूष की तरह निष्ठुर ।।-
"प्रेम का अधिकार"
क्या कभी तुमने
नदी की धारा को वापस मुड़ते हुए देखा है
क्या कभी बादलों ने
बारिश की पानी को वापस माँगा है
क्या कभी धरती ने
अपनी उपजाई हुई अन्न से अपना हिस्सा मांगा है
क्या कभी पेड़ को तुमने
अपने दिए हुए फल को कहते हुए देखा है
क्या कभी चाँद को
अपनी चांदनी को समेटते हुए देखा है
क्या कभी सूरज ने
अपने प्रकाश को खुद में ही केंद्रित कर रखा है
क्या कभी प्रकृति ने
हमसे हमारी नियति को चुराया है
क्या कभी ईस्वर ने
हमें दिए जीवन का आभार माँगा है
फिर कैसे तुम मुझसे
तुम्हें प्रेम करने का अधिकार वापस माँग रहे हो !-