किनारे पे बैठा मैं अकेला, ख़ामोश,
मन में सवालों का उठता अंधड़, मदहोश।
क्या ये पुल संग जोड़ेगा वो राह,
जो बिछड़े पलों को फिर लाए पास?
लहरों की सरगोशी दिल को पुकारे,
ग़म के हर छींटे को धीरे से उतारे।
पर ये रात तो बस राज़ सुनाती है,
और उम्मीद की रोशनी जगमगाती है।
पुल के उस पार हैं अनकही कहानियाँ,
मिलन की आस और बिछोह की निशानियाँ।
चमकते ये दीप मानो पुकार रहे,
टूटे हुए ख़्वाबों को संवार रहे।
राहें चाहे वीरान सी क्यूँ न हों,
हर कदम पर छिपी नई दास्तां हों।
प्यार का पुल ये संदेशा दे जाए,
हर अंधेरे के बाद उजाला ही आए।
लहरें थम जाएँगी, चाँद मुस्कराएगा,
जो अधूरा था, वो फिर से संवर जाएगा।
बस चलना है मुझे उस रोशनी की ओर,
जहाँ मुहब्बत बाँधे है सपनों का छोर।-
Simplicity Lover
Instagram: harsh.vyass
एकांत में बैठा, सुकून वो पाता,
किताबों के पन्नों में दिल बहलाता।
हर अक्षर में जैसे जीवन का सार,
मन के कोनों में छुपा संसार।
कलम उसकी सपनों को आकार देती,
कविताएं लिखती, भावनाएं बुनती।
चाँदनी रात में शब्द खिलते हैं,
जैसे तारों के संग विचार मिलते हैं।
ईश्वर का साथ, अदृश्य सहारा,
हर पल महसूस हो उनका इशारा।
हर धड़कन में उनकी महक बसती,
उनकी कृपा से हर राह सजती।
तकनीक का भी एक कोना मिला,
जहां दिल और दुनिया का रिश्ता खिला।
स्क्रीन की रौशनी में भी दिखी दुआ,
जुड़ते दिल, कटती हर दूरी का धुआं।
किताबें, कविताएं, ईश्वर का साथ,
यही तो है उसकी जीवन की बात।
एकांत में मिली ये अनमोल शांति,
जैसे आत्मा ने पाली हो साध्वी वृत्ति।-
He forgives too easily, that’s why they depart,
Leaving him with an aching heart.
He gets ghosted, ignored without a trace,
Yet he offers a smile, not a bitter face.
He feels the hurt, the sting of the pain,
But chooses to let it slide, again and again.
Though deep down, it cuts like a knife,
He keeps moving forward, embracing life.
He knows the truth, but stays silent still,
Letting go of grudges, bending to their will.
But in his heart, a storm quietly brews,
Yet he forgives, knowing it’s the path he’ll choose.
For he believes in love, in giving and grace,
Even when the world leaves him with little space.
He hopes one day, they’ll see the light,
And realize his strength in choosing what’s right.
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खामोशी में रहकर मैं खुद के साथ समय बिताता हूँ,
शोर से दूर, मैं अपनी ही आवाज़ सुनता हूँ,
खामोश लम्हों में, अपनी पहचान बुनता हूँ।
हर बुरी लगी बात कहने की ज़रूरत अब महसूस थोड़ी कम सी होती,
खुद से ही बातें कर, मैं कभी सुकून पा लेता हूँ।
जो जवाब नहीं मिले, वो खामोशियों में ढूंढता हूँ,
अपने ही सवालों का हल अब खुद में ढालता हूँ।
लोगों की भीड़ में खोई हुई शांति जब लौट आती है,
तो वही खामोशी मेरे दिल को सबसे ज्यादा भाती है।
जो एहसास बयां न हो सके, वो आंखों में उतर आता है,
इस खामोशी में, मेरा हर जज़्बात निखर आता है।-
हाँ मैं थोड़ा कम बोलने लगा हूँ,
अपने में थोड़ा और ज़्यादा रहने लगा हूँ।
पीछे मुड़कर जवाब देने के बदले,
आगे बढ़कर मुस्कुराकर थोड़ा चलने लगा हूँ।
शिकायतें कम और कोशिशें ज़्यादा करने लगा हूँ,
सुबह के सूरज को रोज़ सलाम करने लगा हूँ।
रात में चाँद को जल्दी शुभरात्रि बोलने लगा हूँ,
ईश्वर के सामने थोड़ा और झुकने लगा हूँ।
किताबों से ज़्यादा दोस्ती रखने लगा हूँ,
हाँ, मैं आजकल खुद को खोने से डरने लगा हूँ।
इसलिए ज़्यादा अपने में ही रहने लगा हूँ।-
आज फिर आया है ये तारा
करने मुझे कुछ इशारा
अपनी चमक से बता रहा कि देख,
मैं भी तेरी तरह हूँ अकेला यहाँ, यारा
फिर भी मेरी ऐसी चमक कि लोग देखें मुझे दोबारा
तू भी अपनी रोशनी बिखेर,
तुझे भी तो पाना है अपना प्यारा सवेरा
चाँदनी रात में तेरे सपनों का बसेरा
सितारे की तरह तू भी चमके हर पहर
हर दिन, हर रात हो रोशन तेरा ये जीवन
क्योंकि अंत में यही है सबसे अनमोल तोहफा,
जिन्दगी की इस महकती बगिया में,
बस तू यूं ही खिलता रह,
जैसे ये तारा चमकता है आसमान में,
तू भी चमकता रहे हर किसी के दिल में,
अपनी अद्भुत रोशनी से।-
वो लड़का सबसे नहीं बोलता
अपना दिल यूही आसानी से नहीं खोलता।
दर्द बहुत सहा, पर लबों से कभी कुछ न कहता,
खामोशी में छुपा लेता, किसी को कुछ भी नहीं दिखाता,
मदद भी करता पर कभी नहीं जताता और बेमतकाब डंका नहीं वो बजाता।
दिखावे की दुनिया में, वो सादगी को अपनाता,
चमक-दमक से दूर, खुद को खुद में ही छुपाता।
सोशल मीडिया पर नहीं, बस दिल के करीबियों को जानने देता,
अपने हसीन ख्वाबों और हकीकत की कहानियों को।
सोशल मीडिया की कबूतरबाज़ी के दिखावे से दूर
अपनी कविता सिर्फ़ अपने क़रीबियों को सुनाता।
काफ़ी कुछ है उसके पास भी वस्तुएँ, फिर भी वो खुद को साधारण ही जताता,
दिखावे की भीड़ में, अपनी असलियत को सहेजकर रखता।-
वो चुपचाप लड़का, हल्की मुस्कान लिए
वो जैसा दिखता है, वैसा नहीं है, ये सच है।
वो अपने बारे में बहुत कुछ कहता है,
उसकी खामोशी में भी, एक कहानी बसी है।
चोट खाता रहा, पर दर्द नहीं जताता,
बड़ी बेरहमी से घायल, पर आह नहीं उठाता।
सपने देखता है धीरे से, परछाइयों में चलता,
अपनी ही दुनिया में, मौन में बात करता।
अगली बार जब देखो उसे, उस हल्की मुस्कान के साथ,
जान लो भीतर छुपी है, उसकी ताकत की बात।
कम बोलने वाला लड़का, साहस से भरा,
एक मौन योद्धा, दृढ़ और अडिग खड़ा।
उसकी शांति के पीछे है एक उज्ज्वल आत्मा,
अदृश्य लड़ाइयाँ लड़ता, हर दर्द सहता।
वह है साहस की मिसाल, नायक की निशानी,
अपने संकल्प में अडिग, हर मुश्किल में खड़ा जैसा चट्टान।-
Knock Knock
That quiet boy with a slight smile from outside
Is not what he seems, there’s more he tries to hide.
He speaks of himself with stories untold,
In silence he dwells, but his heart is bold.
Though bruised and battered, he stands with grace,
Showing no pain, a calm on his face.
Brutally hurt, yet no reaction he’ll give,
In his own silent world, he continues to live.
He dreams in whispers, in shadows he walks,
A world within, where silently he talks.
With each quiet moment, there’s a story to tell,
A life of resilience, in which he does dwell.
So next time you see him, with that gentle grin,
Know there’s a world of strength hidden within.
A boy of few words, with courage so vast,
A silent warrior, resilient and steadfast.-
A boy with pen and paper in hand,
Writing feelings to better understand.
Though troubled by things that seem unfair,
He chooses silence over despair.
With ink he crafts his inner strife,
Capturing the essence of his life.
He feels the weight of unspoken pain,
Yet in his heart, calm does remain.
Instead of anger, he pens his woes,
Finding peace in words that flow.
Through each line, his spirit grows,
A silent strength the world seldom knows.
His thoughts take flight on every page,
Transforming sorrow, releasing rage.
In solitude, he finds his grace,
A quiet resilience, a steadfast face.
No outburst marks his hidden fight,
His battles won in the dead of night.
A boy with pen, a heart so wide,
In written words, his soul confides.
He dreams of days when hearts align,
When peace is more than just a sign.
Till then, he writes, and through his art,
He mends the fragments of his heart.-