शादी की बात हो तो इश्क मुकम्मल कर लेंगे,
वरना इस मोहब्बत को अधूरा ही छोड़ देंगे।
जिसे तुम समझी हो दिल का सच्चा फसाना,
वो मां की नज़र में है बस एक बहाना।
इश्क़ मेरा पाक है, इसमें कोई गिला नहीं,
पर मां की इज्ज़त से बढ़कर कुछ भी सिला नहीं।
अगर घर की चौखट पार कर सको तुम,
तो हर जंग में तेरा हमसफ़र बनूंगा मैं।
मगर ये मोहब्बत अगर रिश्ते में ढल न सके,
तो इसे आवारगी कहकर भूल जाऊंगा मैं।
तुम तय करो कि ख्वाबों को हकीकत बनाना है,
या इस इश्क को अधूरा ही छोड़ जाना है।-
2025 में आकर ये एहसास हुआ कि बढ़ती उम्र के साथ लगाव का सिलसिला धीरे-धीरे खत्म हो रहा है।
ना अब लोगों से वो अपनापन महसूस होता है,
ना ही उम्मीदों के टूटने का दर्द बचा है।
अब लड़ाई-झगड़े की चाहत भी दिल से मिटने लगी है।
जो चीजें पहले जरूरी लगती थीं,
अब वो सब महज़ फिज़ूल लगती हैं।
दिल अब शोरगुल से दूर, एक बंद कमरे की खामोशी चुनता है,
जहाँ न कोई शिकायत हो, न कोई सफाई।
बस मैं हूँ, मेरी तन्हाई और वो खामोश लम्हे,
जो मेरी हर बात बिना कहे समझ लेते हैं।🙂
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दिल करता है, तुझे एक आख़री ख़त लिखूं,
लेकिन क्या लिखूं? तुझे लिखूं या तेरी यादों को लिखूं?
तेरे साथ गुज़ारी वो लंबी रातों का ज़िक्र करूं,
या तेरे ना होने का वो चुभता हुआ एहसास लिखूं?
तेरे चेहरे की रोशनी में छुपी वो मासूमियत लिखूं,
या उन आंखों में दिखते दर्द का इज़हार लिखूं?
तेरी रूहानी बातों में बसा वो सुकून लिखूं,
या तेरी नादान हरकतों का वो बेखौफ जुनून लिखूं?
उन लम्हों को लिखूं जो तेरी बाहों में थे,
या तेरे ठुकराने पे हुआ दिल का जो सुकून खो गया, वो दर्द लिखूं?
तेरी हंसी की वो मीठी आवाज़ लिखूं, या तेरी खामोशी के आंसू,
लिखूं तो क्या लिखूं, तेरे ख्यालों में घिरी इस तन्हाई को लिखूं?
तुझे लिखूं या तेरे ना होने का वो बेसब्र एहसास लिखूं?
दिल करता है, तुझे एक आख़री ख़त लिखूं, पर क्या लिखूं?
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मिलावट है तेरे इश्क़ में इत्तर और गुलाब की,
कभी मैं महक जाता हूँ और कभी बहक जाता हूँ..,-
एक प्यारी सी दोस्त मेरी, दूरियों में भी पास है,
दिल से दिल की दूरी मिटती, जब होती हमारी बात है।
हंसती-खिलखिलाती वो, जब भी याद आती है,
सारी उदासी को दूर भगाती, खुशियों की सौगात लाती है।
समय और दूरी की दीवारें, हमें नहीं रोक पाती हैं,
सच्ची दोस्ती का रंग, हर पल और भी गहरा हो जाता है।
चिट्ठियों में, संदेशों में, वो हमेशा मेरे साथ है,
एक प्यारी सी दोस्त मेरी, दूरियों में भी पास है..!!
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दूरियों में बसा है मेरा प्यार सच्चा,तेरे बिना अधूरा है हर एक लम्हा।
रातों को जागकर तुझे याद करता हूँ,आंखों में आंसू, दिल से बस तुझे पुकारता हूँ।
तू दूर है मुझसे, पर दिल के पास है,तेरे बिना ये जीवन लगता निराश है।
तेरी हंसी की गूंज, अब भी कानों में है,तेरे बिना ये दिल, जैसे वीराने में है।
वीडियो कॉल पर तेरी सूरत देखता हूँ,तेरी बातें सुनकर, खुद को संभालता हूँ।
मीलों की दूरी, पर दिल की नज़दीकियाँ,तेरे बिन ये आंखें, हर पल हैं बेचैनियाँ।
तेरी चिट्ठियों में बसती है मेरी खुशबू, तेरे बिना हर दिन लगता है बेरंग और धुंधला।
कभी-कभी ये दूरी तड़पाती बहुत है, तेरे बिना ये दिल, हर रोज़ रोता है।
तू वहां, मैं यहां, पर प्यार हमारा खास है,दूरी चाहे जितनी भी हो, दिल में तेरा ही वास है।
मिलने की आस में, जी रहा हूँ मैं,तेरे बिना भी, हर पल तुझसे बंधा हूँ मैं।
ये फासले, ये दर्द, बस एक इम्तिहान है,तेरे प्यार में जीना ही, मेरे दिल की पहचान है।
कभी मिलेंगे हम, इस विश्वास के साथ,दूरी चाहे जितनी भी हो, तेरा ही है साथ।-
एक नासमझ प्रेमिका, अनजान सी,
मेरे दिल की धड़कन, बेख़ौफ़ सी..।
कहीं उसकी आँखों में छुपी ख्वाबों की बात,
कहीं उसकी मुस्कान में बसी हर बात..।
नासमझ है वो, पर मगर ख़ूबसूरती सी,
मेरे दिल में बसी एक मिठास सी..।
जाने क्यों वो आए, बिना बुलाए सी,
मेरे दिल को चुराए, बिना बताए सी..।
नासमझ है वो, पर मगर अनमोल है,
मेरे दिल की धड़कन, उसके बिना अधूरी है..।
नासमझ है वो, पर मेरी ज़िन्दगी की राह,
बस उसके साथ में है, मेरा ख्वाब और मेरा राज..!!-
जरा सी अनबन ने दिल को खफा कर दिया,
हमारी मुस्कान को अश्कों से जुदा कर दिया।
चंद लफ्ज़ों की ठेस ने रिश्तों को रुला दिया,
प्यार को सन्नाटे के साये में छुपा दिया।
कभी जो बातें होती थीं दिल से दिल तक,
आज वही बातें खो गईं हैं मंजिल तक।
जरा सी अनबन ने ये क्या कर दिया,
जो कभी अपना था, उसे बेगाना कर दिया।
उम्मीद की एक किरण अब भी बाकी है,
शायद ये रात भी ढलने वाली है।
जरा सा प्यार और थोड़ी सी बात,
मिटा देगी अनबन, फिर से करेंगे नई शुरुआत..!!-