अब कौनसा खुशनुमा इतवार रहता है, अब सारा दिन मेरा इक्सार रहता है...! -
अब कौनसा खुशनुमा इतवार रहता है, अब सारा दिन मेरा इक्सार रहता है...!
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कौन निकलता है घर से चाह कर के, मजबूरी ही आदमी के इतने घर करती हैं! -
कौन निकलता है घर से चाह कर के, मजबूरी ही आदमी के इतने घर करती हैं!
कई ख़्वाब मेरे उम्मीद ए जफर में है...! हम मुसाफिर है,जब भी है सफर में है...! -
कई ख़्वाब मेरे उम्मीद ए जफर में है...! हम मुसाफिर है,जब भी है सफर में है...!