Harsh Vardhan Sharma   (हर्षवर्धन शर्मा “वशिष्ठ”)
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Joined 28 July 2019


Joined 28 July 2019
18 JUN 2022 AT 0:19

मुझे खौफ है यह आफत अब हर दफा होगी,
इंसान तो बहुत होंगे पर इंसानियत ना होगी।

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19 APR 2022 AT 8:14

वो एक मामूली सा पत्थर था “वशिष्ठ”।
मुश्किलों ने तराश कर उसे मीनार कर दिया।

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27 NOV 2021 AT 11:21

शंकर अंश मिलो तुमको प्रभु मात उमा बहु लाड़ दुलारो ।
मुंडन माल धरो अरि नाशक मूसल पाश को हाथ मे धारो ।
नाग की यज्ञोपवीत सजे अरु भूरी जटा हुम को हुमकारो ।
भैरव रूप अनूप धरे हरे क्षण में सब कष्ट हमारो ।

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10 AUG 2021 AT 19:32

इश्क़ – प्यार – मोहब्बत क्या कहूं उसे.....!
वो एक शहर का नहीं हर दिल का राजा हैं.!

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1 AUG 2021 AT 10:35

मुझे कुबूल करता हैं मेरी हर गलती के साथ....!
दोस्त मेरा खुदा बनकर मुझे हरवक्त तराशता हैं..!

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24 JUL 2021 AT 23:06

क्या लिखूँ ,
लिखने के काबिल नहीं हूं मैं ,
वो आफ़ताब हैं,जो तारों को चमक देता हैं...!

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28 JUN 2021 AT 11:17

हम कुछ नहीं करते बस दुआ करते हैं,
हमारी फिक्र हम नहीं करते खुदा करते हैं॥

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29 JAN 2021 AT 20:56

मुझे पसंद है इश्क़ किताबों का
“ वशिष्ठ ”
किताबें दिल नहीं मंजिल देती है।
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21 JAN 2021 AT 19:49

उलझे धागो को अक्सर तोड़ देते है लोग,
उलझे धागों को आखिर सुलझाता कौन है।

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12 JAN 2021 AT 10:59

प्रत्येक कार्य को विवेक (बुद्धिमत्ता) से
करने पर ही आनन्द की प्राप्ति होती है।

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