Harsh Vardhan Govind   (HvG)
470 Followers · 7 Following

read more
Joined 25 October 2019


read more
Joined 25 October 2019
6 MAR 2023 AT 0:07

दिल लगा लिया,
आदत बना लिया।

गलती बस एक कर दी,
अपने दिल का हाल बता दिया।

-


1 OCT 2022 AT 19:58

मेरे ख्यालो से भी ख़ूबसूरत हो तुम,
मेरे गले से उतरी मीठी शरबत हो तुम,
अब नज़रे हटेंगी नहीं तुमसे
क्योंकि,
मेरी दुआओं में लिपटी पहली मन्नत हो तुम।

हर्षवर्धन गोविंद

-


8 JUN 2022 AT 21:53

कुछ बाते जतानी थी,
और कुछ तुम्हें बतानी थी।
तुम्हारे लिए जो सोच थी,
उसे अपने ज़ुबां पर सजानी थी।
माना की वक्त ने थोड़ी चूक कर दी,
पर शुक्र है खुदा की,
तुमसे फिर मुलाकात करा दी।

रिश्ते बदले है, जज़्बात नहीं।
तुम बदले थे, हम नहीं!

आज की कहानी तो अधूरी रह गई,
मिलेंगे किसी रोज़, सुरुवात होगी उसी ओर।

-


6 APR 2022 AT 20:50

अब जब भी उस पल को याद करता हूँ,
खुद से बस एक ही फरियाद करता हूँ।
साँसे मिले पर दिल न मिले किसी से,
सबको देखूँ, पर नज़रे न टकराए, सिर्फ उसी से।

थम जाएं कदम, जब भी उसकी आहट सुनु,
क्योंकि, अब ये दिल न चाहता, कि उसके साएँ से भी मिलु।

कभी फरियाद के बाद मिले,
तो कह देना, कि बस एक बात कि खुशी थी उसे,
कि उसके दिदार से पहले, हमे मौत ने चूम लिया,
तेरा नाम लेने से पहले, किसी ने तो हमे चुन लिया।

हर्षवर्धन गोविंद

-


28 MAR 2022 AT 21:03

हम अपने जिंदगी के पन्ने पलटते गए,
वो उन्हें संवारती गाई।
एक वक्त ऐसा आया की,
हमारी किताब में ही आग लगी पड़ी थी।

-


16 MAR 2022 AT 19:44

ना ही हम दिल से करीब थे,
ना ही असल में उनके पास।
फिर भी इल्ज़ाम ऐसे लगे,
की हमने रात गुजारी थी उनके साथ।

-


4 MAR 2022 AT 16:31

Khaamosh ho tum,
mujhe pata hai,
naraaz ho tum.
Phir bhi teri adae kehti hai,
meri jaan ho tum.
Khud se jyada
ab tumhe samajhta hun,
kyonki mera pyaar ho tum.

-


4 MAR 2022 AT 16:18

ख़ामोश हो तुम,
मुझे पता है,
नाराज़ हो तुम।
फिर भी तेरी अदाए कहती है,
मेरी जान हो तुम।
खुद से ज्यादा अब तुम्हे समझता हुँ,
क्योंकि मेरा प्यार हो तुम!

हर्षवर्धन गोविंद

-


19 FEB 2022 AT 20:06

फ़ासला घटता गया,
पर दिल की दूरिया बढ़ती गई।
अब वक्त ऐसा आ गया,
की जो सबसे करीब थे
वही दिल से दूर है।
मुलाक़ात रोज होती है
पर बाते नहीं।
इक़रार रोज करता हूँ,
पर उनके सामने नहीं।

हर्षवर्धन गोविंद

-


15 FEB 2022 AT 7:18

अब कोई दलील की ज़रुरत नहीं
क्यूकि,
मोतियाँ अंगारो को सहते नहीं।

गुसे के लिए अब कोई जगह नहीं
क्यूकि,
प्यार अब तुमसे हम करते नहीं।

हर्षवर्धन गोविंद

-


Fetching Harsh Vardhan Govind Quotes