अब जब भी उस पल को याद करता हूँ,
खुद से बस एक ही फरियाद करता हूँ।
साँसे मिले पर दिल न मिले किसी से,
सबको देखूँ, पर नज़रे न टकराए, सिर्फ उसी से।
थम जाएं कदम, जब भी उसकी आहट सुनु,
क्योंकि, अब ये दिल न चाहता, कि उसके साएँ से भी मिलु।
कभी फरियाद के बाद मिले,
तो कह देना, कि बस एक बात कि खुशी थी उसे,
कि उसके दिदार से पहले, हमे मौत ने चूम लिया,
तेरा नाम लेने से पहले, किसी ने तो हमे चुन लिया।
हर्षवर्धन गोविंद
-