आज फिर शाम हो गई हैं
तेरे हिस्से की बात खो गई हैं
मुश्किल से धुन्द लाया था जिसे
वो आज फिर ज़िन्दगी से गुमनाम हो गई हैं
आज फिर शाम हो गई हैं
तेरे हिस्से की हंसी रो रही हैं
पुराने घाव को याद करके
आज फिर मलहम लगा रही हैं
पलकें झुकाये बैठ
तेरे हिस्से का प्यार ख़ोज रही हैं
फ़ुरसत से धड़क रहे दिल को
आज फिर तड़पा रही हैं
आज फिर शाम हो गई हैं
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