harsh singh   (HARSHA)
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Joined 24 August 2018


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20 APR 2023 AT 23:29

समझता हूं जिसे अपना वो ऐसा क्यों नही करता
मुझपे जो हक उसे है वो जाहिर क्यों नहीं करता ।

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7 FEB 2023 AT 22:50


// रंग दरिया //

वो चाहती तो ,
मुझे सिकंदर भी बना सकती थी
मगर उसे बर्दाश्त गुलामी नहीं ।
विसाल ए यार का
तकरार का ,ज़िक्र हर एक ख्याल का
करने में कोई बदनामी नहीं ।
ढूंढता हूं आज भी
और समझ में आता है, उस वरक का
पुराने अहद का कोई सानी नहीं ।

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7 FEB 2023 AT 22:02

समझ ,तुम देर में आई!

एक गुलाब का फूल देने से कितना प्यार साबित होगा और एक गुलाब का पौधा देने से कितना , बस इस अंतर को समझते-समझते
गुलाब दिवस का मुहूर्त काल निकल गया ।

फूल मुरझा जाएंगे , क्या प्यार याद दिलाएंगे ,
पौधा बड़ा होगा , और फूल देगा , प्यार सालों-साल याद रहेगा ।
अब अंतर समझ में आ गया है , अगले साल सोचना नही पड़ेगा ।

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14 JAN 2023 AT 7:30

जिसे सब जीना हो ,और भूल भी जाना हो ।
रंजिश होगी अगर ये, शहर उसका ठिकाना हो ।
कल उसकी आंखो में देखा था पानी उतरता मैंने ,
कोई ताज़ूब ना हो ,अगर आज रूठना मनाना हो ।
ये जो बादल हैं तमन्ना नही वहशत बढ़ा रहे हैं ,
ये बूंदे शायद इश्क नही नदी का हर्जाना हो ।
खिड़की से मेरी धुंधला दिख रहा है आज भी
इलाही इसके बाद तो मौसम सुहाना हो ।

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25 NOV 2022 AT 22:17

उस के यादों के मरकब साए में हैं
अक्सर लगता है हम सताए गए हैं ।
मेरी पेशानी ( माथा) उसने पढ़ी और कहने लगा
जनाब आप रोने के लिए हंसाए गए हैं ।
जहमत नही उठाता समाअत की अब
हम प्यार के शोलों से जलाए गए हैं ।
क्यों कोई दुनिया बची नही दिखती
ये मंजर किसकी नज़र से दिखाए गए हैं ।
बिखेर देना भी एहसान लागत है उसका
ये हम किस एहसास से सजाए गए हैं।
तकलीफ देने में माहिर लोग हैं जो
अक्ल की पहली कतार में लगाए गए हैं ।

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18 OCT 2022 AT 21:42

रोज़ उनको तवज्जो दे दे कर
अब दिल भर गया है सह सह कर ।।

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20 AUG 2022 AT 23:30

आपका मन आप जब जी करे बात करें
हमारे नसीब में जो वफाएं हैं हम उन्हे याद करें ।।
मेरे जेहन में खाली पड़ी है एक जमीं
आपका जी करे उसे बर्बाद करे या आबाद करें ।।
गुजर चुका है ये शक्श अगर दिल-ए-नज़र से
खुदा राहत बख्से आओ ऐसी फरयाद करें ।।
गर्द-ए-मलाल बहुत होने लगे तो क्या समझा जाए
आओ दिल्ली में मिल कर शिकायत खाक करें
एक तरफा आरजू लिए हम एक रोज़ बिखर जाएंगे
हयात-ए-बेहतरी के लिए आओ ख्वाहिश-ए-पाक करें ।।

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19 AUG 2022 AT 23:16

जितना तुमने सोचा था
उतना मैं दिलदार नही हूं ,
तुम्हारा मैं हकदार नहीं हूं ।

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19 AUG 2022 AT 23:07

मोहब्बत के पेड़ पे ,
जब पत्ते लगेंगे , कितना अच्छा लगेगा ।
में देखूंगा , वो देख चुकी होंगी शायद ।
उनसे पूछूंगा क्या ये मौसम सही है इस पत्ते के लिए
उन्हें जवाब शायद पता हो और वो न देना चाहें
इसमें उनकी अदा है ।
वो कॉलेज के डिबेट में या
असेंबली में बोलती दिखती है , मेरे साथ नही ।

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2 JUL 2022 AT 1:32

आपको कभी कभी मेरा कुछ न करना , मेरा गुस्सा होना लगने लगता है ।
उस वक्त जब आप परेशान होकर सब कहती है तो बस मुझसे काश निकलता है । काश आप मेरे सामने होती मुझे देखती और समझती की कभी कभी ये लड़का अचानक से शांत हो जाता है ।
बस और कुछ नही ।

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