मैं खुद में ही मशहूर हूं।
आवारा नही फिरता।।
ज़रा सोच कर खोना मुझे
मैं दुबारा नहीं मिलता।।-
जिंदगी में फिर मिलेंगे दुबारा
देख के नजरे मत चुरा लेना।
"यार देखा हैं तुझे कही बस
कहकर गले लगा लेना।।"-
जिस दिन तू शाहिद हुआ
मुझे नहीं पता
तेरी माँ कैसे सोइ होगी।
मैं बस इतना जानता हूँ
वो गोली भी तेरे सीने मे
उतरने से पहले रोइ होगी।।— % &-
ये बात उन बच्चों कि जिन्होंने हर एक terrorist attack मे अपने माँ - बाप को खोया है--
''मरी हुई माँ का दूध पिटे - पिटे सो चुके है।
खून निकले आँखो से इस हद तक रो चुके है।।
क्या रह गया उन बच्चों का बचपन।
अभी चलना भी ना सिखा
और अनाथ हो चुके है।।''-
नज़र नहीं नज़रिया बदलो
दुनियां बहुत खूबसूरत लगेगी।
वरना अपने घर मे झाक कर देखो
वहां भी एक औरत मिलेगी।।-
एक विद्यार्थी का जीवन आसान नहीं होता।
सूरज से पहले उठकर
चाँद के बाद सोना
हर किसी के बस का बात नहीं होता।।
माथे पर इतना सारा तनाव लेकर भी
ख़ुशी - ख़ुशी रहते है।
चाहे कितना भी हो दुख - दर्द
चुप - चाप सब सहते है।।
दिन - रात मेहनत कर के अच्छे अंक प्राप्त करना
हर विद्यार्थी के सपने होते है।
और जो अच्छे अंक न आने पे मनोबल तोड़ दे
वो अकसर अपने ही होते है।।
लोग कहते है
आजकल के बच्चे गंदे हो रहे है।
कैसे ना हो??
यहाँ तो शिक्षा के नाम पे भी धंदे हो रहे है।।
हमारे देश में कामयाबी मेहनत से नहीं
पैसे और जान - पहचान से मिलता है।
और यही वजह है कि
हमारा देश सबसे पीछे चलता है।।
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यहाँ सब को सब पता है
फिर भी सब सो रहे है।
मैं क्या हि उम्मीद रखू देश से अपने
यहाँ तीन साल की बच्चीओ के रेप हो रहे है।।-
न जाने कितने ही रातें
मैंने बिना सोए बिताई ।
बस तुझे पाने कि चाह में
मैंने अनगिनत ठोकरे भी खाई ।।
तुझे पाने कि चाह में
हो गया इस कदर बेगाना ।
कितने ही लोग आए मिलने मुझसे
पड़ा उन्हें बिना मिले ही जाना ।।
मुझे नहीं पता था
बाहर क्या - क्या हो रहे थे ।
मैं तब भी जाग रहा था
जब सब सो रहे थे ।।
लोगों को छोड़ मैंने
किताबों को अपनाया ।
तुझे पाने कि चाह में
अपनी खुशीयों को भी दफनाया ।।
कभी - कभी मन करता
सब कुछ छोड़ दूँ !
पर क्या सिर्फ अपने खातिर मैं
अपने परिवार के आशाओं
को तोड़ दूँ !!-
ए दोस्त!
भाई समझता था तुझे
पर तु तो गिरगिट निकला।
ये बता मेरे पीछे
तूने और कितने रंग बदला।।
भाई समझ कर तुझे
मैंने सारी बातें बताई।
मुझे क्या पता था
अपने ही हाथों से मैं
लिख रहा था अपनी ही तबाही।।
नए रिश्ते बनाने के लिए
तूने पुराने रिश्तों को ठुकराया।
कल तक तो तु था अपना
पर आज से है पराया।।
होंगे ज्यादा दोस्त तुम्हारे
क्योकि तुमने रिश्ते है बनाए।
क्या है वो आज खड़े साथ तेरे
बनकर तेरे साए??
जब मैं पहली बार तुझसे मिला
पता नहीं कैसा था वो समय - वो मुहरत।
जब दोस्त ही हो तुम्हारे जैसे
फिर दुश्मनों कि क्या जरुरत।।-