अपनों से रूठने में समजदरी रखते है हम नाइंसाफी में आवाज जरा भारी रखते है हम पैसों के आगे झुक जाती है रिश्तेदारी जिनकी रिश्ते नजरअंदाज करना उनको सीखा देते है हम
आशिक के जनाजे में रोने आशिकी आई ! जिन फूलों को भेंट देने में आशिक की मौत आई , आंखो में हमदर्दी का जूठा पानी लेके वो कातिल उन्हीं फूलों से आशिक को श्रद्धांजलि देने आई ।