अपनों से रूठने में समजदरी रखते है हम
नाइंसाफी में आवाज जरा भारी रखते है हम
पैसों के आगे झुक जाती है रिश्तेदारी जिनकी
रिश्ते नजरअंदाज करना उनको सीखा देते है हम-
જોમ છલકે મારું મલંગમાં
હૈયું રણકે મારું તારા રંગમાં
સૂક્ષ્મ જિંદગી ની શું મજાલ !
જ્યારે સમય વહે તારા સત્સંગમાં-
मै अपने दरमियां दर्द से भरा पड़ा हूं
बहोत शोर बीच मै तनहा पड़ा हूं
बिता कल अब भी साथ में लिए
पता नहीं जिंदा भी हूं या मरा पड़ा हूं-
किसी की तालाब में बहती
किसी की दरिया पार करती,
बारिश के मुश्किल हालातों में
तैर ने का दोनों साहस रखती-
चांद की चांदनी के बहकावे में आते है लोग
मगर सूरज की जलन कोई नहीं देखता
मेरी आशिकी पर लगाते है पाबंदी
उनके इशारों का गुनाह कोई नहीं देखता !!-
समझोता करने जो आपस में आते है
गलतियां दोहराकर फिर से पछताते है
लडते-ज़गड़ते और अपना बुलाते है
ऐसे लक्षण को लोग मरीज़ ए इश्क बताते है !-
कोशिश करना धर्म है तेरा
कर्म का मटका गर्व है तेरा
जवानी का अगर जोश है बोया
तकदीर बदलना फर्ज है तेरा-
इश्क में टूटे हुए कुछ , जुड़ने कामयाबी को चल गए
बाकी बचे जले आशिक , प्यार के दरिया में बह गए ।-
आशिक के जनाजे में रोने आशिकी आई !
जिन फूलों को भेंट देने में आशिक की मौत आई ,
आंखो में हमदर्दी का जूठा पानी लेके वो कातिल
उन्हीं फूलों से आशिक को श्रद्धांजलि देने आई ।-