कल रात यूँ मति भ्रम जो होने लगा हमको
बालियों को तारा तुझको चाँद समझा हमने-
Harsh Khandal
(Harsh)
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Joined 22 October 2018
3 JUL 2020 AT 20:46
4 MAY 2020 AT 14:14
तुमको तो गिला है
हर बात का मुझसे,
देखो! इतनी शिकायतें
दोस्ती में तो नहीं होती।-
26 MAR 2020 AT 6:11
मनुष्यता के सवाल पर,
सरकार के विचार पर,
रखो अपनी मती मानुष,
चल पड़ो एकांतवास पर।-
17 MAR 2020 AT 14:41
अकेला होना भयावह नहीं
किंतु सृजन का अवसर है।
इसे सोच के हवाले मत करना, क्योंकि
सोचता हुआ आदमी जानवर बन जाता है।-
11 MAR 2020 AT 1:24
अब सम्भल जाओ कि संभलने की जरूरत है,
किसी की याद आई है जिसे भूलने की जरूरत है,
क्या किया? क्यूँ किया? और वो क्यूँ नहीं किया?
छोड़ो जंजाल और चले आओ कि चलने की जरूरत है।-
10 MAR 2020 AT 4:21
ये फ़िकरगी कभी खत्म होने वाली नहीं,
तेरे स्केलेटन को भी बेतहाशा चुमूंगा मैं।-
20 FEB 2020 AT 4:26
बाते कुछ अनकही है दरमियां,
बढ़ने लगी है कुछ सरगर्मियां,
इन सर्द रातों का सफर खत्म होने को है,
हमारे हिस्से आने दो सब सरगोशियां।-