Harsh Kesharwani   (हर्ष केशरवानी 'पंसारी')
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Joined 22 April 2018


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Joined 22 April 2018
10 FEB 2022 AT 18:28

तुम्हारा दोनों भौहों के बीच मे वो छोटी काली बिंदी
लगाना मानों ऐसे प्रतीत होता है
जैसे
मंगल और वृहस्पति के मध्य हज़ारों चमकते हुए छुद्रग्रह एकत्रित होकर पूरे आकाशगंगा की शोभा बढ़ा रहे हों

💞💞— % &

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25 JAN 2022 AT 14:08

जब कभी प्रेम पर 'अष्टाध्यायी' लिखूंगा....

तुम्हारा स्थान हमेशा "वृद्धिरादैच्" की जगह होगा !!

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23 JAN 2022 AT 20:36

प्रेम में छोड़ना आसान है...

छूटना कठिन.... 🖤

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29 NOV 2021 AT 16:58

जिन्दगी अभागी है...

तुम बिन आधी है ...🖤

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12 SEP 2021 AT 16:07

एक वक्त के बाद फर्क़ पड़ना बन्द हो जाता है!!
किसी की नाराजगी का
किसी के नजर अंदाज करने का
किसी के दुःख का
किसी के सुख का
किसी के होने का
किसी के खोने का
किसी के सम्मान का
या फिर उसके अपमान का
खुद के हक़ का
या किसी के शक़ का
एक परिपक्व अवधि के बाद हर चीज से फर्क़ पड़ना बन्द हो जाता है
🖤🖤

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31 AUG 2021 AT 21:05

इतना संगीन पाप कौन करे
मेरे दुःख पर विलाप कौन करे

बिखरे हैं तिनको तिनको में जो हम
ये बताओ अब उनका हिसाब कौन करे 🖤

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24 AUG 2021 AT 0:05

मेरा हिस्सा मुझे ख़ामोशी से मिल जाता है,
मैंने दर्द के सामने कभी हाथ नही फैलाया ..!!

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29 JUL 2021 AT 23:41

ये दुनिया है बड़ी झोल झाल
दूसरों के खुशियो के कारण
खुद को घुटते देखा है...

मजबूर हुए इतना तुम कभी
अपनी ही आँखों के सामने
क्या किस्मत को लुटते देखा है !! 🖤

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13 JUL 2021 AT 9:58

इश्क़ में हार का बोझ,
जिंदगी भर उठाओगे

झटके में नही साहेब..
किश्तों में मौत पाओगे 🖤

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13 JUN 2021 AT 22:36

आत्मसम्मान को ताक पर रखकर
प्रेम जीवित रखने की होड़

एक दिन आपसे आपका सर्वस्व छीनेगी

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