Harsh Kanojiya   (Harsh Kanojiya कवि हृदय)
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Joined 16 November 2018


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Joined 16 November 2018
5 APR AT 19:54

ज़िन्दगी कब कोन से रास्ते से गुज़ारे कौन जाने
मैं तो मुसाफिर हूं मेरा तो लक्ष्य है मंजिल पर पहुंचना।
- Harsh Kanojiya (कवि हृदय)

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9 MAY 2024 AT 21:45

यूं नहीं की कहने को शब्द नहीं है
पर जीसे कह सकूं ऐसा कोई हमनशीं नहीं है ।
- Harsh Kanojiya (कवि ह्रदय)

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22 DEC 2022 AT 19:08

कौन रोक पाया है आज़ाद परिंदों को
हज़ार बंदिशें लगा दी जाएं रास्तों में
मुसाफ़िर तो पहुंच के रहेंगे मंजिल पर।

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2 JUL 2022 AT 18:27

मुझे कितना अजीब पहचाना गया है
मुझे समझा नही परखा गया है।
- Harsh Kanojiya (कवि हृदय)

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30 MAY 2022 AT 10:16

शून्य से प्रारंभ जीवन को किस दिशा में लेजाना
ये हमारे हाथ में है।

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22 MAR 2022 AT 18:48

बहुत पुरानी बात नहीं
कुछ दिनों पहले की बात है
मैं दोस्तों से मिला था
अब लगता है कितनी पुरानी बात है।

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13 MAR 2022 AT 18:24

वो जो कुछ फासलों से,
छुट गया था पीछे

अब मुड़कर क्या फ़ायदा,
हाथ पकड़ फिर भी न आएगा

गुंजाइश कोई छोड़ी कहां थी,
तुमने तो हर वादें को तोड़ा था

मैं कहता रहा था के ठहर जाओ
पर तुमने मेरी कब मानी थी

कहते हो अब के साथ चलना है
माफ़ करना मैंने रास्ता मोड़ दिया है।

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28 FEB 2022 AT 18:21

लफ्ज़ लफ्ज़ ख़ामोश है हर खामोशी आवाज है
तुम देख रहे हो जो वो मुस्कुराहट एक नक़ाब है।

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31 JAN 2022 AT 10:47

घर की ज़िम्मेदारियों ने शहर भेजा
वरना गांव कौन छोड़ना चाहता था।

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30 JAN 2022 AT 11:02

जो सत्य को स्वीकार करता है
जग उसका सम्मान करता है।

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