आपका चेहरा आपके चित का दर्पण है।
अच्छे बुरे संकल्प, कर्म, स्फुरणाओं का ज्ञान चेहरे से स्पष्ट हो जाता है।-
दर्पण के सामने हंसो तो हंसता है ,रोते है तो रोता है,गुस्सा करो तो गुस्सा होता है।
शब्द प्रतिबिंब है व्यक्तित्व का, यह हम ही है जो अन्य के भाव को अपने मे सम्मिलित कर अपने भाव पर हावी होने देते है।-
व्यवहार मे आप को सत्य तभी तक सत्य लगता है वो जब तक आप के मस्तिष्क के अनुकूल हो।
ईस लिए आप वही सत्य मानते है जिसे आप सुनना चाहते है।-
Instincts for anything or everything is natural in human you cant remove it ,All they need option all they need to trapped themselves in something and something whether in subject or any object.
People always obsessed with their passion so they can't enjoy freedom-
निरन्तर चलते विचार मे एक विचार के चिन्तनकाल मे तत्काल दुसरे विचार का उदय हो जाता है,उन दो विचार के मध्य मे एक सुक्ष्मातिसुक्ष्म क्षण है जहां एक हल्का सा प्रकाश होता है वो दो विचार के मध्य मे जो अनुभूति होती है,वही हमारा वास्तविक अस्तित्व है।-
तत्वपक्षपातो हि स्वभावो धीयाम्.....
जीव कि बुद्धि का सहज स्वभाव होता है तत्व अर्थात् तथ्य अर्थात् सत्य का पक्षधर होना।
ईस लिए व्यक्ति स्वार्थ और अपने अहंकार के पोषण के लिए सत्य को परेशान कर सकता है लेकिन स्वयं कि बुद्धि के सहज स्वभाव को अपने अंदर पराजित नही कर सकता।
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सत्य परेशान हो सकता है पराजित नही।
सत्यमेव जयते।- मुंडकोपनिषद ३.६.१॥-
Our relationship with the world is our relationship with ourself.
outer conflict is inner.
one who fights with his mind quarrels with the world.
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Pls do not message me without any Important work.
महत्वपूर्ण काम के अलावा मेसेज न करे।
if any urgent pls call me.जल्दी है तो फोन करे।
Be on topic during Call.फोन पर बात करते समय केवल काम के विषय पर ही बात करे।
Do not waste time समय का व्यय न करे।
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